होली का त्योहार खुशी और उत्साह का त्योहार है. हिन्दू माह अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दूसरे दिन मनाते हैं. पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है, दूसरे दिन धुलेंडी मनाते हैं और पांचवें दिन रंगपंचमी बनाते हैं.
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रंगों का त्योहार
रंगों का यह त्योहार प्रमुख रूप से 3 दिन तक मनाया जाता है. पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं. दूसरे दिन लोग एक-दुसरे को रंग व अबीर-गुलाब लगाते हैं जिसे धुरड्डी व धूलिवंदन कहा जाता है. होली के पांचवें दिन रंग पंचमी को भी रंगों का उत्सव मनाते हैं. भारत के कई हिस्सों में पांच दिन तक होली खेली जाती है.
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भांग पीने का प्रचलन
होली के दिन भांग पीने का प्रचलन तब से लेकर अब तक जारी है. कई लोग मानते हैं कि ताड़ी, भांग, ठंडाई और बजिये के बिना होली अधूरी है. आदिवासी और कुछ ग्रामीणजन ढोल-मांदल एवं बांसुरी बजाते हुए ताड़ी पीते और मस्ती में झूमते हैं. मध्यप्रदेश में होली का भगोरिया उत्सव इसी दिन होता है. इस दिन फाग गाते हैं और रंगारंग कार्यक्रम किए जाते हैं. होली गीत के कार्यक्रम के दौरान ठंडाई और मिठाई का वितरण किया जाता है. व्यापारी अपने-अपने तरीके से खाने की चीजें- गुड़ की जलेबी, भजिये, खारिये, पान, कुल्फी, केले, ताड़ी बेचते, साथ ही झूले वाले, गोदना वाले अपने व्यवसाय करने में जुट जाते हैं.
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