हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन की पूजा के लिए कोई न कोई देवता निश्चित किया गया है. इन दिनों को ज्योतिषीय कारणों से, उनके जन्म, विशेष दिन आदि के कारण तय किया गया है.
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हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन की पूजा के लिए कोई न कोई देवता निश्चित किया गया है. इन दिनों को ज्योतिषीय कारणों से, उनके जन्म, विशेष दिन आदि के कारण तय किया गया है. आज, गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और गुरुवार को व्रत भी रखा जाता है. गुरुवार भी गुरु को समर्पित है, इसलिए भगवान गुरु बृहस्पति की भी पूजा की जाती है.
कुण्डली में गुरु दोष
कुण्डली में गुरु दोष की स्थिति में अर्थात बृहस्पति की स्थिति कमजोर होने पर भी गुरुवार के दिन व्रत रखने की सलाह दी जाती है. पंचांग के अनुसार गुरुवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से किया जा सकता है, लेकिन पौष माह से व्रत की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. अगर व्रत शुरू करने के दिन अनुराधा नक्षत्र बनता है तो यह शुभ होता है. जिस प्रकार 16 सोमवार के व्रत का महत्व है, उसी प्रकार 16 गुरुवार को व्रत रखने का विधान है. अगले गुरुवार को व्रत का उद्यापन किया जाता है.
कुंडली में बृहस्पति ग्रह
बृहस्पति देव को ज्ञान और बुद्धि का कारक माना जाता है. सही निर्णय क्षमता, ज्ञान और बुद्धि के साथ गुरु दोष से छुटकारा पाने के लिए गुरुवार का व्रत रखा जाता है. देव गुरु बृहस्पति की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार लगातार सात दिनों तक गुरुवार का व्रत रखने और गुरु की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति ग्रह से संबंधित सभी समस्याओं से राहत मिलती है. जिन लोगों के विवाह में किसी भी प्रकार की देरी हो रही है, उन्हें गुरुवार का व्रत करने को कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और केले के पौधे की पूजा की जाती है.
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