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पुस्तकें हर किसी की लाइफ में अहम भूमिका निभाती है। जो कदम-कदम पर इंसान का साथ देने के अलावा उनका मार्गदर्शन भी करती है। पुस्तकें जो हर किसी की दोस्त होती है उनका हर पल साथ निभाती है। वही पुस्तकों को पढ़ना आपको पूरी तरह से दूसरी दुनिया में ले जाना जैसा है। साथ ही वो आपको अपनेपन का अहसास भी कराती हैं। ज्यादातर लोगों को हर दिन कोई न कोई पुस्तक को पढ़ने का शोक होता है। ऐसे में वो अपनी पसंद के मुताबिक पुस्तकों को खरीद लेते है। उनको खरीदते वक्त हम बिल्कुल ध्यान नहीं देते है कि उनका रख-रखाव कैसे करना है। अक्सर हमारी आदत होती है कि पढ़ी हुई पुस्तकों को हम एक जगह रखने की बजाय इधर-उधर ही रख देते है जिसके लिए हमें डांट भी खानी पड़ जाती है।
वहीं पुस्तकें खरीदते समय हम ध्यान बिल्कुल ध्यान नहीं करते है कि जो पुस्तकें हम खरीद रहे है उनको रखना किस तरह है। इसके साथ ही घर में इधर-उधर बिखरी पड़ी पुस्तकें बहुत ही बेकार लगती है। जरा सोचें इस हालत अगर घर में कोई मेहमान आ जाए तो वह आपके बारें में तरह-तरह की बातें बनाएगा। जिसको सुनकर आपको निराशा फील होएंगी। ऐसे में हम आपको पुस्तकों को ठीक ढंग से लगाने के कुछ सरल उपाय बताएगें जो आपके घर को एक अलग लुक देगी जिसको देख मेहमानों की आपके प्रति सोच भी बदल जाएंगी...
अलग-अलग लगाएं पुस्तकें
सबसे पहले जिन पुस्तकों को आपने पढ़ लिया है उनको अलग करके रख दें और जिनको अभी पढ़ना बाकि है उनको अलग निकाल के रख दें। इससे आपको उनको शेल्फ में लगाने में आसानी होगी और पुस्तकें इधर-उधर होने के बजाय एक जगह पर लगी रहेगी जिनको निकालकर पढ़ने में आपको कोई भी पुस्तक को ढुंढने में परेशानी नहीं होगी।
एक शेल्फ खरीदें या बनाएं
यदि आपके पास अपनी पुस्तकों को रखने के लिए जगह कम है या आपकी पुस्तके जगह जगह बिखरी पड़ी है तो आप उनको रखने के लिए एक नया शेल्फ को ख़रीदे या फिर आप किताबों को ठीक ढंग से रखने के लिए आप खुद भी शेल्फ को बना सकते है जिससे आपकी सारी पुस्तकें एक जगह आ जाएं।
पुस्तकों को लगाएं क्रमानुसार
अपनी पुस्तकों को आसानी से साफ़ करके क्रमबद्ध रूप से लगाए। यही नहीं आप उन्हें ऊंचाई या उनकी मोटाई के क्रमानुसार पुस्तकों को लगा सकते है ताकि जब भी आपका उनको पढ़ने का मन करें तो उसको आप आसानी से उठा के पढ़ सके।
बुक एण्ड का करें उपयोग
घर के पुस्तकालय में लगी जिन पुस्तकों को आपने पढ़ लिया है या फिर अगर उसको अधुरा पढ़ा है तो आप उन पर कोई निशानी लगा के छोडे़ ताकि जब कभी आप उसको पढ़ने बैठे तो बार-बार पेज पलटने के बजाय उस निशानी को जारिए जहां पर आपने पहले उसको पढ़कर छोडा था वही से फिर पढ़ सकें।
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