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एक बार एक व्यापारी अकेले किसी अनजान रास्ते में फंस गया। उसकी कार का पहिया कीचड़ में धंस गया। उसने चारों तरफ देखा, लेकिन सड़क पर कोई नजर नहीं आया। तभी खेत में काम कर रहा एक किसान उसे दिखाई दिया। व्यापारी ने उस किसान के पास पहुंच कर मदद मांगी। किसान ने उसकी हालत को समझा और मदद के लिए तैयार हो गया। लेकिन किसान ने कहा कि यह काम अकेले उसके बस का नहीं है। उसे अपने बैल मोती की मदद लेनी होगी।
किसान बैल मोती के पास पहुंचा। व्यापारी ने बैल को देखा तो संशय में पड़ गया। बैल बूढा था, भला वो कार कैसे खींच सकता। खैर, कोई चारा था नहीं। व्यापारी चुप रहा। किसान ने अपने बैल को कार से बांध दिया। इसके बाद जोर-जोर से चिल्लाते हुए उसे हिम्मत देने लगा। शाबास मोती...बहुत अच्छा हीरा...आगे बढ़ो श्याम...बहुत शानदार कर रहे हो तुम लोग...खींचो, खींचो, बहुत बढिया...
किसान के उत्साहवर्धन ने बूढे मोती को बहुत हिम्मत दी। कार कीचड़ से बाहर निकल आई। इसे देख व्यापारी ने राहत की सांस ली।व्यापारी ने किसान को धन्यवाद दिया, लेकिन उसके मन में एक सवाल कौंध रहा था। बैल तो एक था, लेकिन किसान हीरा और श्याम किसे बोल रहा था?आखिरकार व्यापारी ने किसान से पूछ ही लिया। भइया, ये हीरा और श्याम किस बैल के नाम हैं? यहां तो केवल मोती ही मेहनत कर रहा था। सवाल सुन किसान ने थोड़ी देर सोचा। इसके बाद बोला, 'देखिए, मोती बैल बूढ़ा हो चुका है। उसे दिखाई भी कम ही देता है। उसे क्या पता कि वह कार अकेले ही खींच रहा है। जब मैंने उसके सामने हीरा और श्याम का नाम लिया, तो उसे लगा होगा कि वह अकेले नहीं है। वह एक टीम में काम कर रहा है। यही सोचकर उसने अपना बेस्ट परफॉर्मेंस दे दिया।
किसान की ये बात
सुनकर व्यापारी हैरान रह गया। सोच में डूब गया। उसे समझ में आ गया था कि हमें सीख
कहीं भी, किसी भी समय मिल
सकती है। वैसे, ये बात केवल किसी
बैल या जानवर पर ही लागू नहीं होती है। हम इंसानों के लिए भी यह उतना ही अहम है।
एकता में शक्ति होती है। तभी तो कहा जाता है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
वैसे ही गठ्ठर में बंधी लकड़ी हर कोई नहीं तोड़ सकता। इसलिए टीम भावना के साथ काम
करने पर सफलता मिलनी तय होती है। टीम भावना के बिना कभी भी बड़ी सफलता नहीं मिल
सकती है। टीम के बीच यदि परस्पर जुड़ाव हो, तो बड़े से बड़ा काम आसानी से हो जाता है।
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