Hindi English
Login

Special: दुनिया का सबसे महान धर्म है सिख, इस समुदाय से 10 बातें सीख लेनी चाहिए

सिख एक ऐसा संप्रदाय है, जो बहादुरी, सेवा और भाईचारे के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है.

Advertisement
Instafeed.org

By Bikram Singh | लाइफ स्टाइल - 26 June 2021

सिख एक ऐसा संप्रदाय है, जो बहादुरी, सेवा और भाईचारे के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. इनके समर्पण भावना के लिए पूरी दुनिया इन्हें सलाम करती है. हमेशा देखा जाता है, जब भी मानवता को ख़तरा होती है, सिख समुदाय तन-मन-धन से खड़ी रहती है. आइए, आज इस धर्म के बारे में अच्छे से समझते हैं.

भारत में सिखों की जनसंख्या

भारत में सिखों की जनसंख्या करीब 2 करोड़ है. दुनिया में इस कौम की आबादी करीब 3 करोड़ है. सिख देश की चौथी सबसे बड़ी संप्रदाय है. मगर अर्थव्यवस्था, राज्यव्यवस्था और सुरक्षा में इस कौम का कोई सानी नहीं है. देश की शान के लिए ये कौम हमेशा तैयार रहती है. 


क्या होता है सिख धर्म?

पंजाबी भाषा में 'सिख' शब्द का अर्थ 'शिष्य' होता है. सिख ईश्वर के वे शिष्य हैं जो दस सिख गुरुओं के लेखन और शिक्षाओं का पालन करते हैं. सिख एक ईश्वर में विश्वास करते हैं. उनका मानना है कि उन्हें अपने प्रत्येक काम में ईश्वर को याद करना चाहिये. इसे सिमरन (सुमिरण) कहा जाता है.


सिख किनकी पूजा करते हैं

सिख अपने पंथ को गुरुमत (गुरु का मार्ग- The Way of the Guru) कहते हैं. सिख परंपरा के अनुसार, सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक (1469-1539) द्वारा की गई थी और बाद में नौ अन्य गुरुओं ने इसका नेतृत्व किया. सिख मानते हैं कि सभी 10 मानव गुरुओं में एक ही आत्मा का वास था. 10वें गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) की मृत्यु के बाद अनंत गुरु की आत्मा ने स्वयं को सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (जिसे आदि ग्रंथ भी कहा जाता है) में स्थानांतरित कर लिया और इसके उपरांत गुरु ग्रंथ साहिब को ही एकमात्र गुरु माना गया. पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव के समय तक सिख धर्म स्थापित हो चुका था. गुरु अर्जुन देव ने अमृतसर को सिखों की राजधानी के रूप में स्थापित किया और सिख पवित्र लेखों की पहली प्रमाणिक पुस्तक के रूप में आदि ग्रंथ का संकलन किया.


सिख धर्म का क्या है दर्शन और मत

एक ओंकार – अर्थात् ईश्वर एक है और सभी धर्मों के सभी लोगों के लिये वही एक ईश्वर है. आत्मा मानव रूप को प्राप्त करने से पहले ज़रा और मरण के चक्र से गुज़रती है. हमारे जीवन का लक्ष्य एक अनुकरणीय अस्तित्व का निर्वहन करना है ताकि ईश्वर के साथ समागम हो सके.


सिख की पहचान

केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करते हैं.

“ वैष्णव जन तो तैने कहिये जै पीर पराई जाने रे” यह एक बहुत ही प्रसिद्ध भजन की कुछ पंक्तियाँ हैं. सिख धर्म की नींव को यह पंक्तियाँ सटीक रूप से दर्शाती हैं. इस धर्म की स्थापना ही इसलिए हुई थी औरों की पीड़ा और दर्द करने के लिए.


अगर हम इतिहास की ओर रुख करें तो देखेंगे कि सिख धर्मगुरुओं ने कैसे बलिदान देकर दूसरों की रक्षा की. हथियार अगर उठाये भी तो निहत्थे और कमज़ोर लोगों पर नहीं, बल्कि उन ज़ालिम लोगों पर जो इंसानियत भूल चुके थे.


आज हम आपको सिख धर्म की ऐसी 10 बातें बताने जा रहे है जो निश्चित ही सारे संसार के लिए एक प्रेरणा स्रोत  है.

लंगर

सभी लोगों के लिए, चाहे फिर वह किसी भी धर्म के अनुयायि हो, ऊंची जाति के हो या नीचली जाति के, अमीर हो या गरीब, सभी को एक साथ बैठकर एक ही प्रकार का प्रसाद चखना होता है. गुरुद्वारे का लंगर एक ऐसी जगह है, जहां सारा भेदभाव खत्म हो जाता है और हमें सिर्फ इंसानियत ही नज़र आती है. यहां पर कोई भी भूखा नहीं जाता – 24 घंटे गुरुद्वारे के लंगर के द्वार हमेशा सभी के लिए खुले रहते हैं.

सेवा

सेवा करना सिख धर्म में ईश्वर की आराधना के सामान माना गया है. आप अगर किसी भी गुरूद्वारे में जाकर देखेंगे तो अमीर से अमीर लोग आपको जूठे बर्तन धोते नजर आएंगे. जूता घर( जहाँ जूते चप्पल रखे जाते हैं)  वहां अपने हाथो से उन्हें उठाकर पोलिश कर रखते हैं. और यह सब निस्वार्थ सेवा है उस परम पिता वाहेगुरु की भक्ति करने का एक तरीक़ा .


जब कभी भी देश और दुनिया को विपत्ति का सामना करना पड़ा है, उस समय सिख समुदाय ने सेवा की है. चाहे बाढ़ की स्थिति हो, लंगर खिलाना हो या फिर कोरोना के दोरान शवदाह करनी हो, इस समुदाय ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. हमेशा अपने निस्वार्थ भावाना से इस समुदाय को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है.

बलिदान 

बलिदान की अगर बात की जाए तो सिख धर्म में आपको ऐसे अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे जो बलिदान की एक नई मिसाल देते हुए दिखाई देंगे. चाहे फिर वह श्री गुरु अर्जुन देव सिंह जी हो, जो तपते तवे पर बैठकर शहीद हो गए या फिर श्री गुरु गोविंद सिंह जी जिन्होंने अपने पिता ,अपने चारों पुत्र और अपनी माता का बलिदान धर्म रक्षा के लिए दे दिया.

खाना

इनके खाने में आपको एक संपूर्ण आहार की साफ झलक दिखाई देगी – जो पौष्टिक होने के साथ-साथ  लजीज भी होता है. और इनके यहाँ की लस्सी तो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.

आत्मरक्षा

यह अपनी आत्मरक्षा के लिए हमेशा अपने पास कृपाण रखते हैं. यह कृपाण किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि स्वयं की और निर्बल लोगों की रक्षा के लिए होती है. शस्त्र विद्या का संपूर्ण ज्ञान होता है.

गुरबाणी

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी एक ऐसा ग्रंथ है जिसे 11वें गुरु की उपाधि दी गई है. यह अपने आप में सभी धर्मों और धर्म ग्रंथों की बातों को समेटे हुए है. जब भी कोई मुश्किल आती है या परेशानी होती है तो गुरुवाणी के स्मरण मात्र से ही वह दूर हो जाती हैं.

हंसमुख स्वभाव

सिख धर्म के लोग हमेशा ही हँस मुख स्वभाव के होते हैं. चाहे इन पर कितने भी विपत्ति क्यों ना आ जाए, उनका चेहरा हमेशा हंसता हुआ ही दिखाई देता है. यह बहुत खुश मिज़ाज़ होते हैं. अपने पर हंसने की क्षमता हर इंसान में नहीं होती, पर लगभग हर ‘सरदारजी’ में आपको यह गुण दिख जाएगा. यूं ही नहीं संता-बंता वाले जोक इतने मशहूर. संता बंता का एक चुटकुला वाला कार्टून 


केश

सर पर सजी हुई पगड़ी को देखकर यह दूर से ही पहचान में आ जाते हैं. केश रखने का प्रमुख कारण यह है कि यह मानते हैं कि भगवान ने जो हमारी संरचना की है वह बहुत ही खूबसूरत है हम संरचना को चुनौती नहीं देंगे क्योंकि खूबसूरती बाहरी वेशभूषा से नहीं बल्कि अंतर मन से होती है.

पहनावा

इनका पहनावा दूसरों से काफी अलग होता है स्त्रियों के लिए पटियाला सलवार और फुलकारी की हुई कुर्ती जिसके साथ एक बड़ा सा दुपट्टा होता है. उनके पहनावे में पारंपरिक कारीगरी की साफ झलक दिखाई देती है . यह स्टाइलिश होने के साथ साथ आरामदायक भी होते हैँ.

भाईचारा

उनमें आपसी प्रेम बहुत होता है. चाहे किसी भी वर्ग के लोग हों, यह उनसे आसानी से घुल मिल जाते हैं.

सिख रेजिमेंट से खौफ खाते हैं दुश्मन

जब कभी भी दुश्मनों ने हिन्दुस्तान को आंख दिखाई है, उसी समय जवाब देने के लिए सिख रेजिमेंट खड़ा हुआ है. युद्ध होने की स्तिथि में भारत की सिख रेजीमेंट ने उस युद्ध का करारा जवाब दिया हैं और भारतीय सेना का मान बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान दिया है.


कहा जाता है कि सिख रेजीमेंट भारतीय सेना की सबसे खतरनाक सेना है. जिसे 72 लड़ाई ऑनर्स, 15 रंगमंच ऑनर्स, 2 परमवीर चक्र, 14 महावीर चक्र, 5 कीर्ति चक्र, 67 वीर चक्र और 1596 अन्य वीरता पुरुस्‍कार  मिले हुए हैं. इतने रिकॉर्ड तो अभी तक दूसरी रेजिमेंट में नहीं हैं.

इस रेजीमेंट के साथ 154 साल का पुराना नाता जुड़ा हुआ है. रेजिमेंट की पहली बटालियन अंग्रेजों द्वारा 1846 में सिर्फ सिख साम्राज्य के विलय से पहले बनाई गई थी. इस रेजीमेंट से जुड़ी एक मुख्य बात यह है कि ऐसा माना जाता है कि इस रेजीमेंट की विरासत सिख गुरुओं द्वारा दी गई शिक्षा और बलिदान है. और इस रेजीमेंट ने महाराजा रणजीत सिंह खालसा की सेना की निर्भयता को आत्मसात किया है.

ब्रिटेन में भी बनेगा सिख रेजिमेंट

सिखों के सम्मान में ब्रिटेन आर्मी सिख रेजिमेंट का गठन करने जा रही है. उनकी बहादुरी को सलाम करने के लिए ये कदम ऐतिहासिक है. इससे पहले ब्रिटेन ने गोरखा रेजिमेंट को शामिल किया है.

सिख धर्म की तुलना किसी भी धर्म से नहीं की जा सकती है. इनकी बहादुरी, देशभक्ति, मानवता के सामने सभी लोग पीछे हैं. इतिहास गवाह है कि जब भी इस धरा को इंसानियत की ज़रूरत रही है, सिख समुदाय हमेशा खड़ा रहा है. इस कौम को हमारा सलाम.

ग्राफिक्स- जतिन भोलेवासी

ये जानकारी आपको हमने कई स्रोतों से से दी हैं. अगर कोई जानकारी आपको गलत लगती है तो आप हमें bikram@instafeed.org पर मेल करके दे सकते हैं. आपको हमारी ये खास आर्टिकल कैसा लगा जरूर बताइएगा.

Advertisement
Advertisement
Comments

No comments available.