पूजा में सबसे ज्यादा जिस चीज का उपयोग होता है, जिसके बिना हर शुभ काम अधूरा होता है और पूजा पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हो पाती वो शब्द बेहद ही छोटा सा है, लेकिन उसकी ताकत जबरदस्त है। यहां हम बात कर रहे हैं ऊँ की। ॐ शब्द को कहने भर से ही शरीर में एक प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। ये सभी मंत्रों का सारा कहा जाता है। आपको यह हम बताते हैं कि ओम एकाक्षरी मंत्र पांच अवयव- अ से अकार, उ के हिसाब से ऊकार और म से मकार, बिंदु और नाद इन पांचों को मिलाकर ऐसे ही होता है।
ॐ को हमेशा ओम कहा जाता है। जब भी हम इसे बोलते हैं तो ओ पर अधिक जोर पड़ता है। इसी चीज को प्रणव मंत्र भी कहते हैं। बहुत कम लोगों को ये पता है कि ॐ 3 ध्वनियों से मिलकर बना हुआ है- अ, उ और म इन तीनों का मतलब उपनिष्द में भी दिया गया है। आपको बता दें कि ये ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी माना जाता है। इतना ही नहीं ये भूव: लोक, भू: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक है। इसकी ध्वनि से भी वातावरण शुद्ध हो जाता है। ॐ मंत्र के जाप से हम ध्यान की एक अनोखी स्थिति में पहुंच जाते हैं, जो हमें असिम ऊर्जा प्रदान करते हैं।
ॐ का उच्चारण करने से शरीर को मिलते हैं ये फायदे
यदि आप सुबह उठकर ॐकार शब्द का उच्चारण करते हैं तो इससे आपके शरीर के साथ-साथ मन को शांति मिलती है। इससे दिल की धडकन और ब्लड प्रेशर सही बने रहते हैं। जैसे की हमने बताया था कि ॐ तीन ध्वनियों से बना हुआ है जिसमें अ, उ और म शामिल है। पहला जो शब्द है अ वो कंठ से हमारे निकलता है, दूसरा उ दिल पर असर डालता है और तीसरा म् जो नाभि में कम्पन पैदा करता है। इस ध्वनि की गुंज से हमारे शरीर की जो नस है उसकी नाड़ियां काफी ज्यादा प्रभावित होती है। इसके अलावा ॐ का उच्चारण करने से आपके फेफड़ें और हृदय भी स्वस्थ रहता है।
ॐ में जो 1 से 4 की जो स्थिति है वो आपकी चेतना के बारे में आपको जानकारी देते हैं। वहीं, 5वां स्थिति आपको मोहमाया से संबंधित चीजों से अवगत करता है। आइए पांच स्थिति के बारे में एक-एक करके बाते हैं आपको यहां...
1. चलना
2. स्वपन
3. गहरी नींद
4. तुरिया
5. माया से बाहर निकालकर सचाई से रूबरू करता है।
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