Hindi English
Login

Rabindranath Tagore Jayanti: दो राष्ट्रों का राष्ट्रगान लिखने वाले रबीन्द्रनाथ टैगोर का आज 160वां जन्मदिवस है

गुरुदेव बचपन से ही प्रतिभावान थे. 8 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी.

Advertisement
Instafeed.org

By Bikram Singh | लाइफ स्टाइल - 07 May 2021

आज गुरुदेव यानि रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती है. देश के ऐसे लाल जिनके बारे में एक स्टोरी या आर्टिकल नहीं लिखा जा सकता है. इनकी गाथा लिखी जानी चाहिए. एक कलाकार, चित्रकार, कवि, लेखक, साहित्यकार और न जाने कितनी प्रतिभा के धनी थे गुरुदेव. इनका जन्म साल 1861 में 7 मई को हुआ था. ऐतिहासिक रूप से हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण साल रहा है. इनके कारण पहली बार किसी भारतीय शख्स को नोबेल पुरस्कार मिला था. रबीन्द्रनाथ टैगोर एशिया के भी पहले ऐसे शख्स थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बचपन से ही प्रतिभावान थे गुरुदेव

गुरुदेव बचपन से ही प्रतिभावान थे.  8 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी.  महज 16 साल की उम्र में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी. गुरुदेव दुनिया के इकलौते ऐसे शख्स हैं जिनकी रचनाएं 2 देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ टैगोर की ही रचनाएं हैं. गुरुदेव को जितनी इज़ज़त भारत में मिलती है उतनी ही इज़्ज़त बांग्लादेश में भी मिलती है. देश-विदेश के कलाप्रेमी उनकी रचनाओं से काफी प्रभावित रहते हैं. आज हम आपको टैगोर से जुड़ी 5 ऐसी बातों को बताएंगे, जिन्हें जानने के बाद आपको भी गर्व होगा.

1. रबीन्द्रनाथ टैगोर को प्रकृति से काफी लगाव था. वो मानवतावादी के विचारक थे. 


2. रबीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रवाद से ज़्यादा मानवतावाद से लगाव था.


3. टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया.


4. गुरुदेव छात्रों को प्रकृति के सान्निध्य में शिक्षा हासिल करने की सलाह देते थे. अपनी इसी सोच को ध्यान में रखकर उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी.


5. उनकी रचना 'गीतांजलि' के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.


रबीन्द्रनाथ टैगौर के जन्मदिन के मौके पर देश-विदेश के कई कला प्रेमियों ने श्रद्धांजली दी.

फ़रहान अख़्तर

महाराष्ट्र सूचना विभाग

रबीन्द्रनाथ टैगोर को पूरी दुनिया के कलाकार, साहित्यकार मानते थे. उनकी कला के मुरीद थे. कई अंतर्राष्ट्रीय कलाकार उनसे मिलने भी आते थे. देश के ऐसे रत्न से कौन नहीं मिलना चाहेगा. 

Advertisement
Advertisement
Comments

No comments available.