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हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. इस दौरान मां दुर्गा के उपासकों पर अपार कृपा होती है. वहीं इस साल शारदीय नवरात्रि गुरुवार, 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का यह महापर्व शुक्रवार, 15 अक्टूबर को समाप्त होगा. ज्योतिषियों के मुताबिक इस साल नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो रही है. ऐसे में मां दुर्गा की सवारी पालकी होगी. मां दुर्गा पालकी या डोली से आएंगी और हाथी पर सवार होंगी. 06 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ श्राद्ध समाप्त होगा, जिसके बाद अगले दिन यानी 07 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएगी. शनिवार 09 अक्टूबर को तृतीया तिथि सुबह 07:48 बजे तक रहेगी. इसके बाद चतुर्थी तिथि ली जाएगी, जो अगले दिन 10 अक्टूबर (शनिवार) को सुबह 05 बजे तक रहेगी. दो तिथियां एक साथ होने के कारण इस वर्ष नवरात्रि आठ दिनों तक चलेगी.
शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में घाट स्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त प्रातः 06:17 से प्रातः 07.07 बजे तक है. कलश की स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी.
माता रानी की पूजा में प्रयोग होने वाली पूजा सामग्री-
मां दुर्गा की मूर्ति या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप, कपड़े, शीशा, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी के साथ नारियल, दुर्गा सप्तशती पुस्तक, आम के पत्तों की पगड़ी, फूल, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, बर्तन, आसन, पांच सूखे मेवे, घी, लोबान, गुग्गुल, लौंग, कमल गुट्टा, सुपारी, कपूर और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, चीनी, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग का चूर्ण रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्ते, लाल कपड़ा, लंबी बत्तियाँ, कपास या के लिए रोशनी, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम, मौली, श्रृंगार सामग्री, दीपक, घी/तेल, फूल, फूलों का हार, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बटाश या मिश्री, जड़ कपूर , गाय के गोबर के फल और मिठाई, दुर्गा चालीसा और आरती पुस्तक, कलावा, सूखे मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि.
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