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आज की भागदौड़ भरी लाइफ में हर कोई व्यक्ति व्यस्त रहता है जिसके कारण वे खुद के लिए टाइम नहीं निकाल पाते है जिसकी वजह से हम कई बीमारियों के शिकार हो जाते है। यही नहीं सूर्य नमस्कार एक प्रकार की शारीरिक और मानसिक क्रिया होती है जो सूर्योदय के समय की जाती है। वही सूर्य नमस्कार कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक होती है। यह आपके दिमाग को शांत भी करता है।आपको बता दें कि सूर्य नमस्कार को रोजाना करने से वजन कम होने के साथ-साथ मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यही नही सूर्य नमस्कार को सम्पूर्ण एक्सरसाइज कहा गया है। इसे करने के बाद और कोई भी आसन या योग करने की जरुरत नहीं रहती। वही जिन लोगों के पास दूसरी एक्सरसाइज करने का ज्यादा टाइम नहीं है तो वे केवल सूर्य नमस्कार भी करे जो उनकी हेल्थ के लिए बहुत अच्छा है। आपको कम से कम 10–12 बार सूर्य नमस्कार को अवश्य करना चाहिए। ऐसे में आपको बताते है कि सूर्य नमस्कार को करने की कौन-कौन सी प्रक्रियाएं होती है।
1. प्रणाम आसन (प्रेयर पोज)
इस आसन को करते समय आप सबसे पहले सीधे खड़े होकर और अपने पैरों को एक दूसरे के करीब लगाकर जोड़े। उसके बाद आप गहरी सांस लें और अपने कंधों को आराम दें।अब सांस अंदर लेते हुए अपने हाथ ऊपर करें और सांस निकालते हुए प्रणाम लें। यह आसन आपके शरीर को फील करवाता है। यही नहीं सूर्य नमस्कार करने से एकाग्रता की भावना पैदा होती है।
2. हस्ता उत्तानासन (उठा हुआ मुद्रा)
हस्ता उत्तानासन को करने के लिए आप अपनी हथेलियों को आपस में मिलाएं और गहरी सांस लें। इस दौरान आप अपने शरीर को एकदम सीधा रखें और फिर धीरे-धीरे कमर से पीछे की ओर झुकें। अब पूरे शरीर को एड़ी से ऊपर खींचते हुए बाइसेप्स को अपने कानों के पास रखें। इसके साथ आपनी दृष्टि ऊपर की तरफ ही रखें यह आसन आपकी गर्दन और कमर के लिए काफी लाभदायक है।
3. पादहस्तासन
पादहस्तासन को खड़े होकर किया जाता है। इसको करने के लिए आप सबसे पहले अपने कंधे और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। इसके बाद हाथों को कंधे की सीध में लाकर थोड़ा-थोड़ा कंधों को आगे की लेकर आएं।
4. अश्व संचलाना (अश्वारोही मुद्रा)
अश्व संचलाना को घुड़सवार या एक्वेस्ट्रियन पोज़ भी कहा जाता है। इस आसन को करते समय शरीर घुड़सवार की स्थिति में आ जाता है। जिससे रीढ़ की हड्डी सीधी हो जाती है। अश्व संचलाना को करने से सीने पर आगे की तरफ जोर लगने और लगातार तेज गति से सांस लेने से सीने की मांसपेशियां मजबूत हो जाती है।
5. संतुलनासन (स्टिक पोज़)
संतुलनासन को करने के लिए आप अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं और घुटने व पंजे को जमीन पर टिकाते हुए उस पर हिप्स रखकर बैठ जाएं। इसके बाद बाएं पैर को मोड़कर दाए जांघ पर रखें फिर पूरे शरीर का पूरा भार दाएं पैर व घुटने पर डालकर संतुलन कर बैठे।
6. अष्टांग नमस्कार (आठ अंग नमस्कार)
अष्टांग नमस्कार को करते समय जमीन की ओर मुंह रखथे हुए लेटना होता है और धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर की ओर उठाना होता है। याद रखें कि इस दौरान छाती और ठुड्डी जमीन से ही छुई रहनी चाहिए।
7. भुजंगासन (कोबरा मुद्रा)
भुजंगासन को करते समय शरीर का ऊपरी हिस्सा उठा रहता है और बाकी हिस्सा जमीन से लगा रहता है। साथ ही इसको करते समय ऊपर की ओर देखना चाहिए। इसको करते समय अपने शरीर को हाथों की मदद से ऊपर उठाया जाता है।
8. अधोमुख शवासन
अधोमुख शवासन को करते समय फर्श पर घूटने के बल बैठें फिर कूल्हों पर आगे झुकें और अपने हाथों की हथेलियों को कंधों के साथ जोड़कर फर्श पर रखें।
9. अश्व संचालन (अश्वारोही मुद्रा)
अश्व संचालन को करते समय अपने दाहिने पैर को दोनों हाथों के बीच में लाएं और अपने बाएं घुटने को जमीन पर लाएं।
10.पादहस्तासन (हाथ से पैर की मुद्रा)
पादहस्तासन को करते समय आप अपने पैर की उंगलियों को एक साथ जोड़कर गहरी सांस को धीरे-धीरे छोड़ें और फिर नीचे की ओर झुकें। इसके बाद अपनी हाथ की उंगलियों से अपने पैर की उंगलियों को छुएं उसके बाद अपने घुटनो को धीरे-धीरे मोड़कर फिर नाक को घुटनों तक छूने की कोशिश करें।
11. हस्तपादासन
इस स्थिति में आगे की ओर झुकतें हुए सांस को धीरे-धीरे छोड़ें। हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएं और हाथों से फर्श को स्पर्श करें। अब कुछ देर इसी स्थिति में रुकें और फिर घुटनों को एकदम सीधा करके सामान्य हो जाए।
12.हस्तउत्तानासन
इसमें धीरे-धीरे सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें। फिर बाजू और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।
by-asna zaidi
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