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पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता वट सावित्री वत्र, जानें पूरी व्रत की पूजा विधि

क्यों की जाती है बरगद के वृक्ष की पूजा?

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By Bikram Singh | लाइफ स्टाइल - 10 June 2021

पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. यह व्रत 10 जून को यानि आज है. पूरे देश की महिलाएं आज अपने पति के लिए उपवास रखती हैं. यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को भी विवश कर दिया था. इस व्रत के दिन सत्यवान-सावित्री कथा को भी पढ़ा या सुना जाता है.


क्यों की जाती है बरगद के वृक्ष की पूजा?

वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है. इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है. वट का पारण 11 जून दिन शुक्रवार को किया जाएगा.

वट सावित्री पूजा सामग्री-

वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, जल से भरा कलश आदि शामिल करना चाहिए.

वट सावित्री व्रत पूजा विधि-

-इस दिन प्रातःकाल घर की सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें.

- इसके बाद पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें.

-बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें.

- ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें.

- इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करें. इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें.

- इसके बाद ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें.

- अब सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बड़ की जड़ में पानी दें.

-पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें.

-जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें.

-बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें.

-भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीष प्राप्त करें.

-यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं.

-पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें.

-इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण करना न भूलें. यह कथा पूजा करते समय दूसरों को भी सुनाएं.


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