Hindi English
Login

सावधान: अब नाखून से पता चलेगा कोरोनावायरस के लक्ष्ण

शरीर का एक और हिस्सा है, जहां कोरोना वायरस का असर होता है और इससे जुड़े लक्षण दिखाई देते हैं और वह है नाखून.

Advertisement
Instafeed.org

By Asna | लाइफ स्टाइल - 08 June 2021

कोरोना वायरस को दुनिया में आए डेढ़ साल हो चुके हैं और इस दौरान वायरस में कई बदलाव देखने को मिले हैं और इसके लक्षण भी बढ़ रहे हैं. इस समय बुखार, खांसी, थकान और स्वाद और गंध की कमी को कोरोना का मुख्य लक्षण माना जा रहा है. हालांकि हमारी स्किन में भी कोरोना के लक्षण देखे गए हैं. इसके अलावा शरीर का एक और हिस्सा है, जहां वायरस का असर होता है और इससे जुड़े लक्षण दिखाई देते हैं और वह है नाखून. दरअसल, कुछ कोरोना संक्रमित मरीजों के नाखूनों का रंग फीका पड़ जाता है और कई हफ्तों के बाद उनका आकार भी बदलने लगता है, जिसे 'कोविड नाखून' कहते हैं. हालांकि नाखूनों से जुड़े कोरोना लक्षणों के बहुत कम मामले सामने आए हैं, लेकिन इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. 

ये भी पढ़े:'द लंचबॉक्स' की कास्टिंग डायरेक्टर सहर अली लतीफ का निधन

{{img_contest_box_1}}

नाखूनों पर लाल रंग की अर्ध-चंद्र की आकृति 

नाखूनों पर इस तरह की आकृति आमतौर पर दुर्लभ होती है, लेकिन नाखून के आधार के बिल्कुल करीब ऐसी आकृति दिखे तो सावधान हो जाना चाहिए. इस तरह की आकृति का दिखना विशेष रूप से कोरोना से संक्रमित होने के लक्ष्ण हो सकते है.

आखिर नाखूनों पर क्यों बनता है अर्ध-चंद्र? 

कोरोना वायरस से जुड़ी रक्त वाहिका में क्षति इसका एक संभावित कारण हो सकती है या फिर यह वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण भी हो सकता है, जिससे छोटे ब्लड क्लॉट (खून के थक्के) बनते हैं और नाखूनों का रंग फीका पड़ जाता है.

नाखूनों पर निशान कितने समय तक रहते हैं?

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि नाखूनों पर अर्धचंद्राकार आकार कितने समय तक रहता है, लेकिन अब तक जितने मामले सामने आए हैं, वे कुछ मामलों में एक सप्ताह तक तो कुछ मरीजों में यह आकृति चार हफ्ते तक बनी रहती है.

ये भी पढ़े:बड़े पैमाने पर इंटरनेट हुआ ठप, दुनिया भर की वेबसाइट गई डाउन

शारीरिक तनाव का लक्षण भी हो सकता है

नई, विशिष्ट रेखाएं जो आमतौर पर नाखूनों के आधार पर दिखाई देती हैं, वे भी शारीरिक तनाव का लक्षण हो सकती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये रेखाएं तब बनती हैं जब संक्रमण, कुपोषण या कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव आदि के कारण नाखूनों की वृद्धि में अस्थायी रुकावट होती है. जानकारों का कहना है कि नाखूनों के इस बदलाव को कोरोना का पक्का लक्षण नहीं मानना चाहिए. इस बात की पुष्टि के लिए अभी और शोध की जरूरत है कि ऐसे लक्षण निश्चित रूप से कोविड-19 के लक्षणों से जुड़े हैं, लेकिन इस लक्षण को सावधानी के साथ देखा जाना चाहिए.

{{read_more}}


Advertisement
Advertisement
Comments

No comments available.