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शास्त्रों में शनि देव को न्याय का देवता माना गया है. शनि देव कई वाहनों की सवारी करते हैं, आमतौर पर कौवे को शनि देव का मुख्य वाहन माना जाता है. शास्त्रों में शनि के कुल 9 वाहन बताए गए हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में नक्षत्र, वार और तिथि की गणना करके यह पता लगाया जा सकता है कि शनि देव किस वाहन से जातक की राशि में गोचर कर रहे हैं.
शनि देव के नौ वाहनों का मतलब
1. शनि देव के सभी 9 वाहनों में हंस पर सवार शनि देव को सबसे शुभ माना जाता है. हंस पर सवार शनि देव को व्यक्ति के मान सम्मान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
2. यदि शनि का वाहन सियार है तो यह अशुभ माना जाता है. इस दौरान कोई शुभ फल नहीं मिलता है. आर्थिक नुकसान होने की प्रबल संभावना है.
3. यदि शनि का वाहन भैंस हो तो जातक को अपने जीवन में मिश्रित फल की प्राप्ति होती है. तमाम कोशिशों के बाद ही उसे सफलता मिलती है.
4. यदि कौआ शनि का वाहन है तो परिवार के सदस्यों के बीच कलह बढ़ जाती है. ऐसे में मुद्दों को शांति से सुलझाना चाहिए.
5. हाथी भी शनि देव का वाहन है जिसे शुभ नहीं माना जाता है. यह विपरीत परिणाम देता है.
6. सिंह भी शनि देव की सवारी है. सिंह पर सवार होने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
7. शनि देव भी घोड़े पर सवार होकर न्याय करते हैं और जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. घोड़े को शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
8. जब शनि देव का वाहन गधा हो तो यह शुभ नहीं माना जाता है. बहुत प्रयास के बाद ही सफलता मिलती है.
9. कुत्ते और गिद्ध पर सवार शनि का गोचर कई तरह से चोरी, बीमारी और आर्थिक नुकसान का कारण बनता है. गिद्ध पर सवार शनि व्यक्ति को लगातार बीमार करता है.
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