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वक्त जैसे-जैसे बदल रहा है वैसे-वैसे हमारी लाइफ स्टाइल, खाने-पीने की आदतें और बढ़ती उम्र के हिसाब से हमारी हेल्थ की जरूरतें भी बदल रही है। वही बचपन से युवावस्था तक हमारा शरीर एनर्जी से भरपूर होता है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह एनर्जी कम होने लगती है और चालीस साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते यह परेशानियों का सिलसिला लगातार बढ़ने लगता है। वही महिलाओं में इस तरह की स्थितियां थोड़ी ज्यादा बड़ी होती हैं और बढ़ती उम्र की ऐसी ही एक सबसे खतरनाक बीमारी है ऑस्टियोपोरोसिस।
क्या होता है ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टियोपोरोसिस (यानी कमजोर हड्डियां) एक हड्डी की बीमारी है जिसमें हड्डियों को नुकसान होता है जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनको टूटने का खतरा अधिक होता है। वही ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या धीरे-धीरे विकसित होती है और अक्सर इसका पता लगाया जाता है जब हमें मामूली सी चोट या अचानक धक्का के कारण हड्डियों का फ्रैक्चर होता है। यही नहीं रोकथाम या उपचार के बिना फ्रैक्चर का पता चलने तक ऑस्टियोपोरोसिस दर्द या लक्षणों का पता नहीं लगाया जा सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस आमतौर पर कूल्हे, पसलियों और कलाई में होता है। वही हमारे फूड्स में कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के खनिजों से बने होते हैं। जिसमें बढ़ती उम्र और बदलती लाइफ स्टाइल के साथ इन पोषक तत्वों में कमी होने लगती है जिससे हमारी लाइफ बहुत कमजोर हो जाती है जो कि मामूली सी चोट लगने पर फ्रैक्चर का कारण बन जाती है।
इस बीमारी की शिकार होती हैं ज्यादा महिलाएं
40 साल की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस महिलाओं को प्रभावित करता है। वही दुनियाभर में हर 3 में से 1 महिला और 8 में 1 पुरुष इस बीमारी से पीड़ित हैं। महिलाओं में इस बीमारी का प्रमुख कारण है मीनोपॉज। महिलाओं के शरीर में कुछ ऐसे हार्मोन होते हैं जो उन्हें इस बीमारी से दूर रखते हैं लेकिन बढ़ती उम्र में ये हार्मोन कम होने लगते हैं तो बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा कुछ विशेषज्ञ स्तनपान को भी इसका कारण मानते हैं। मां बनने के बाद महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं जिससे उनके शरीर में कैल्शियम की ज्यादा कमी हो जाती है। इसके साथ-साथ कई बार खान-पान पर पूरी ध्यान न देने के कारण भी उस कमी की भरपाई नहीं हो पाती जिससे आगे चलकर से ज्यादा परेशानी का कारण बनती हैं। वही महिलाओं में हिप फ्रैक्चर की समस्या ज्यादा ही बनी रहती है
40 की उम्र के बाद करवाएं बोन डेंसिटी टेस्ट
अगर आपकी उम्र 40 के पार है और कमर दर्द, शरीर में दर्द या हल्की चोट पर भी फ्रैक्चर होने की शिकायत है तो बोन डेंसिटी टेस्ट (बीडीटी) करवाएं। इसे डेक्सास्कैन कहते हैं। डेक्सा का मतलब ड्यूल एनर्जी एक्स-रे अब्सॉर्पटी ओमेट्री है। इस तरह के स्कैन को एडीएक्सए स्कैन भी कहा जाता है। केवल अगर दर्द एक आम समस्या है तो डाॅक्टर द्वारा टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है।
ये होते हैं मुख्य कारण
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को होती है जो फिजिकली कम एक्टिव होते हैं। जिसके कई कारण भी हो सकते हैं जैसे-
- जेनेटिक फैक्टर
- प्रोटीन, कैल्शियम
- विटामिन डी की कमी
- बढ़ती उम्र भी है एक वजह
- बच्चों का बहुत ज्यादा सॉफ्ट
ड्रिंक्स पीना
- स्मोकिंग
- डायबीटीज, थायरॉइड जैसी बीमारियां
- दवाएं (दौरे की दवाएं, स्टेरॉयड आदि)
- महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होना
इलाज
ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में मेडिकल और नॉन मेडिकल दोनों ही कंडीशन का ध्यान रखा जाता है जबकि चिकित्सा दवाएं, इंजेक्शन और सर्जरी शामिल हैं जबकि नॉन मेडिकल में ऐसे फूड्स पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है जोकि हड्डी, व्यायाम, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होते हैं।
अपनी डाइट में शामिल करें इन चीजों को
प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर डाइट लें। इसके साथ आप प्रोटीन के लिए अपने आहार में मछली, सोयाबीन, स्प्राउट्स, दालें, मक्का और बीन्स आदि शामिल करें। वही कैल्शियम के लिए दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर, दही अधिक खाएं।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण आमतौर पर बहुत साफ नहीं दिखते है जिसे साइलेंट बीमारी भी कहा जाता हैं। लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी हैं जिन्हें अनदेखा बिल्कुल नहीं करना चाहिए और तुरंत डाॅक्टर को दिखाना चाहिए।
- शरीर में लगातार थकावट
- हाथ-पैरों में दर्द
- कमर में दर्द
- छोटी-सी चोट पर हड्डियों का टूट जाना
- मॉर्निंग सिकनेस
- काम की इच्छा न करना
इन सब बातों का रखें खास ध्यान
- आप अपने फूड्स में कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर चीजों को शामिल करें।
- हर रोज आप कम से कम थोड़ा समय निकालकर धूप में जरूर बैठें।
- हर रोज कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। चाहें तो आउट डोर गेम्स भी खेल सकते हैं।
- स्मोकिंग और शराब का सेवन करने से बचें।
- ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें और ध्यान इस बात रखें कि आप खुद डॉक्टर न बनें। समस्या गंभीर होने पर ज्यादा परेशानियां हो सकती हैं।
- मीनोपॉज की समस्या होने पर महिलाएं समय-समय पर अपनी जांच जरुर करवाएं ताकि इस बीमारी से बचा जा सकें।
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