Story Content
दिल्ली में यमुना की सफाई को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं , मगर उसके दावे हर बार झूठे साबित हुए हैं. सरकारी और गैर सरकारी दावे में कितनी सच्चाई है? वह आप केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वर्ष 2022 की नई रिपोर्ट में देख सकते हैं. आइए समझते हैं क्या कहती है यह रिपोर्ट ? केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की वर्ष 2022 की नई रिपोर्ट ‘पाल्यूटिड रिवर स्ट्रेच्स फार रेस्टोरेशन आफ वाटर क्वालिटी’ इसे सिरे से नकारती है.
चार में नहीं घटा प्रदूषण
रिपोर्ट के अनुसार सीपीसीबी ने जब 2018-19 में राजधानी में यमुना की अलग- अलग लोकेशनों से पानी के नमूने लिए तब बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) की सबसे ज्यादा मात्रा 83.0 मिलीग्राम प्रति लीटर थी और 2021- 22 में लिए गए नमूने में भी इसकी मात्रा 83.0 मिलीग्राम प्रति लीटर ही मिली. मतलब साफ है कि चार साल पहले यमुना में प्रदूषण की स्थिति जैसी थी, वैसी ही आज भी है. संतोष केवल इतना किया जा सकता है कि इस दौरान जल प्रदूषण पहले से अधिक नहीं हुआ है.
ओखला बैराज तक बीओडी की मात्रा हो जाती है दोगुनी
दिल्ली में यमुना हरियाणा के हथिनीकुंड से दिल्ली में प्रवेश करती है. यहां यमुना की बीओडी की मात्रा 43.0 मिली ग्राम रहती है. दिल्ली को पार करने के बाद पलवल से हसनपुर के बीच वापस 43.0 मिलीग्राम प्रति लीटर हो जाती है. लेकिन दिल्ली में पल्ला से ओखला बैराज तक बीओडी की मात्रा लगभग दोगुनी पहुंच जाती है.
तमाम नालों का पानी यमुना में गिरता है
सीपीसीबी सदस्य डा अनिल गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में यमुना सर्वाधिक प्रदूषित इसलिए है, क्योंकि यहां तमाम छोटे-बड़े नालों का पानी गिरता है। जब तक इसे नहीं रोका जाएगा, तब तक स्थिति में सुधार संभव ही नहीं है. नाले अभी भी यमुना में गिर रहे हैं.
8 स्थानों पर मापी जाती है यमुना की गुणवत्ता
दिल्ली में यमुना के गुणवत्ता मापने के लिए आठ स्थानों पर मापी जाती है. मगर, तीन जगह ओखला बैराज, ओखला ब्रिज एवं आईटीओ पर बीओडी की मात्रा सबसे ज्यादा मिलती है. इनमें भी शाहदरा ड्रेन मिलने के बाद ओखला में जहां बीओडी का स्तर 83 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच जाता है. इतना स्तर ओखला बैराज पर यमुना में आगरा कैनाल के मिलने पर भी नहीं पहुंचता है.
यमुना को शाहदरा ड्रेन करती है सर्वाधिक प्रदूषित
यमुना को प्रदूषित करने में सबसे बड़ी भूमिका शाहदरा ड्रेन की है. इसकी गंदगी गिरने के बाद यमुना नदी में बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) की जितनी मात्रा ओखला बैराज पर होती है, उतनी मात्रा न इससे पहले कहीं मिलती है और न ही इसके बाद में.
ये है बीओडी
जैविक अथवा जैवरासायनिक आक्सीजन मांग (बीओडी) पानी में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के लिए सूक्ष्मजीवों द्वारा उपयोग की जाने वाली घुलनशील आक्सीजन की मात्रा होती है. निम्न बीओडी अच्छी गुणवत्ता वाले पानी का एक संकेतक होता है, जबकि उच्च बीओडी प्रदूषित पानी को दर्शाता है.
Comments
Add a Comment:
No comments available.