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दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नाबालिग के यौन शोषण का मामला दर्ज किया है. नाबालिगों को यौन शोषण से बचाने के लिए बेहद पवित्र उद्देश्य से लाया गया पोक्सो एक्ट आज समाज में चरित्र हनन और राजनीतिक साजिशों का औजार बन गया है. पॉक्सो ने समाज में कैंसर का रूप ले लिया है.
अपराधी मानकर सजा देना
छेड़ने, घूरने या छूने जैसे आरोप, जिनकी प्रमाणिकता ही संदेहास्पद रहती है, ऐसे मामलों में आरोप के आधार की जांच किए बिना व्यक्ति को अपराधी मानकर सजा देना न्यायोचित नहीं माना जा सकता. केवल अभियोग द्वारा अभियुक्त को दोषी मानकर उसकी स्वतंत्रता, उसकी गरिमा और अपना मामला पेश करने के अधिकार से वंचित करना न्यायपूर्ण नहीं कहा जा सकता है.
पॉक्सो कानून में संशोधन
बृज भूषण ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'पॉक्सो कानून में परिभाषित स्थितियां विचारणीय हैं, इसलिए तत्काल प्रभाव से पॉक्सो कानून में संशोधन की जरूरत है. इसके साथ ही अगर आरोप झूठा पाया जाता है या आरोप साबित नहीं होता है' अदालत में, फिर झूठा आरोप लगाने वाले व्यक्ति के लिए सख्त सजा को लेकर कानून बनाने की जरूरत है. साथ ही, मुकदमे के दौरान अभियुक्त को अनुचित उत्पीड़न से बचाने के लिए एक गंभीर निर्णय लेने की आवश्यकता है.
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