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पिछले महीने अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह शरिया कानून लागू करेगा. बता दें कि 1996 से लेकर 2001 तक तालिबान की सरकार रही थी, जिसमें सरेआम फांसी देने से लेकर हाथ काटने तक की सजाएं दी जाती थीं. अब उसके संस्थापक सदस्य मुल्ला नूरद्दीन तुराबी ने कहा है कि जल्द ही अफगानिस्तान में पुरानी सरकार के दौरान दी जाने वाली सजाओं को लागू किया जाएगा.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को दिए एक इंटरव्यू में तुराबी ने कहा, "खुलेआम सजा देने के लिए हर किसी ने हमारी आलोचना की थी, लेकिन हमने किसी के कानूनों को लेकर कुछ नहीं कहा. कोई हमें ये नहीं बताएगा कि हमारे कानून क्या होने चाहिए. हम इस्लाम को मानते हैं और हमारे कानून कुरान पर आधारित होंगे."
तुराबी के बयान के बाद कहा जा रहा है कि तालिबान के इस राज में खास बदलाव देखने को नहीं मिलेंगे. तुराबी ने कहा कि इस बार महिलाओं समेत जज मामले को सुनेंगे, लेकिन कानूनों की बुनियाद कुरान पर होंगी और पुरानी कुछ सजाओं को जारी रखा जा सकता है. उसने कहा कि तालिबान इस बारे में विचार कर रहा है कि ये सजाएं सरेआम दी जानी चाहिए या इसके लिए कोई पर्दा रखना होगा. इस बारे में जल्द ही नीति आएगी.
उसने कहा कि अब तालिबान टेलीविजन, मोबाइल फोन, फोटो और वीडियो पर रोक नहीं लगाएगा क्योंकि ये लोगों के लिए जरूरी हो गए हैं. तालिबान मीडिया को संदेश पहुंचाने का माध्यम समझता है और इसके जरिये लाखों लोगों तक पहुंचा जा सकता है. नई सरकार में जेल विभाग संभालने वाला 60 वर्षीय तुराबी पिछली तालिबानी सरकार में न्याय मंत्री था. उस वक्त उसे बेहद खतरनाक और किसी भी कीमत पर समझौता न करने वाला नेता माना जाता था.
1996 में जब तालिबान ने सत्ता संभाली तो उसने जोर से चिल्लाते हुए एक महिला पत्रकार को बाहर जाने के लिए कहा था. जब एक पुरुष ने इस पर आपत्ति जताई तो तुराबी ने उसको थप्पड़ जड़ दिया. तालिबान के पिछले शासन के दौरान यह मंत्रालय शरिया कानून को बड़ी ही कठोरता से लागू करने के लिए कुख्यात था.
उसने वह फिर से अपराधियों को शरिया कानून के तहत क्रूर सजा देने और महिलाओं पर सख्त पाबंदियां लागू करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए तालिबान के 'अच्छाई का प्रचार और बुराई की रोकथाम' मंत्रालय ने काम भी शुरू कर दिया है.
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