भगवान भोलेनाथ की महिमा का कोई छोर नहीं है. सावन के पवित्र महीने में उनकी कृपा बढ़ जाती है. जब वह प्रसन्न होते हैं तो क्षणभर में भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं। वहीं, जब क्रोधित हो जाएं तो उनके तेज से संसार की बड़ी से बड़ी शक्ति भी नहीं जीत सकती है. परमात्मा शिव के इसी स्वरूप द्वारा मानव शरीर को रुद्र से शिव बनने का ज्ञान प्राप्त होता है.
मनचाहा वर देते है शिव
भगवान भोलेनाथ किसी भी भक्त को कई बार भूलवश हुए थोड़े से पूजन पर भी मनचाहा वरदान दे देते है. उनका यह स्वभाव कई पौराणिक कथाओं में नजर आता है. जिनमें उनका राम नाम के प्रति प्रेम भी प्रतीत होता है. एक बार भगवान शिव कैलाश पर्वत पहुंचे और माता पार्वती से भोजन मांगा. पार्वती उस वक्त भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर रही थी. माता पार्वती ने कहा कि अभी पाठ पूरा नहीं हुआ है. इसलिए थोड़ी देर प्रतीक्षा कर लीजिए. भगवान शिव ने कहा कि इसमें तो समय और श्रम दोनों लगेंगे.
शिव का पूरा परिवार द्वंद का है अंत
भगवान शिव की महिमा जिस तरह अपरमपार है उसी तरह उनका बहुत बड़ा परिवार है. परिवार में सभी द्वंद्वों और द्वैतों का अंत दिखता है. एकादश रुद्र, रुद्राणियां, चौंसठ योगिनियां, षोडश मातृकाएं, भैरव आदि इनके सहचर और सहचरी है. माता पार्वती की सखियों में विजया आदि प्रसिद्ध है. गणपति परिवार में उनकी पत्नी सिद्धि बुद्धि तथा शुभ और लाभ दो पुत्र है. उनका वाहन मूषक है. कार्तिकेय की पत्नी देवसेना तथा वाहन मयूर है.
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