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क्या बीते सोमवार को आर्टिकल 370 पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जम्मू कश्मीर के हालात बदल देगा? अब क्या मोड़ लेगी जम्मू कश्मीर की राजनीति? ये सवाल इस समय हर हिंदुस्तानी के मन में है। कल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को हटाये जाने पर अधिकारिक मुहर लगा कर 11 दिसंबर का दिन इतिहास में दर्ज कर दिया है। लेकिन इसके साथ ही जम्मू कश्मीर की राजनीति गलियारों में महबूबा मुफ्ती या उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं ने बगावत के सुर तेज कर दिए हैं। क्या वीडियो में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर आर्टिकल 370 क्या है या इसे हटाने का ये "सुप्रीम" फैसला जम्मू कश्मीर की राजनीति में क्या मोड़ लाएगा?
धारा 370 क्या है?
अक्टूबर 1949 में धारा 370 लागू करने के बाद कश्मीर को एक "विशेष दर्जा" दिया गया, जिसका अंतरगट वो रक्षा, वित्त, संचार, या विदेशी मामलों को छोड़कर किसी भी क्षेत्र में अपना अलग कानून बना सकता था। यहां तक कि अलग संविधान या राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग भी दिया गया या बाहरी लोगों को कश्मीर में संपत्ति का अधिकार नहीं दिया गया। या नहीं, अनुच्छेद 35ए के बावजूद यहां के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार या विशेषाधिकार भी मिले।
आर्टिकल 370 क्यों हटाया गया?
2019 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए उसका विशेष दर्जा हटाने का वादा किया। मोदी सरकार के इस फैसले का एक बड़ा कारण कश्मीर या पाकिस्तान था, लेकिन एक ठोस कदम उठाकर जनता को ये साबित करना था कि वो अपने शब्दों को हकीकत में बदलना जानती है। ऐसा करके वो साबित करना चाहते हैं कि कश्मीर भारत का ही हिसा है या इस देश का कानून जब भी लागू किया जाएगा।
क्यू है फ़ैसला ज़रूरी?
कहने की जरूरत नहीं है कि इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ ले आई है। अब जब देश के सर्वोच न्यायलय ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले पर हमी भर दी है, तो जम्मू-कश्मीर या लद्दाख अब हमारे राष्ट्र में पूरी तरह समाहित हो चुके हैं। इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि जो कानून, अधिकार या विशेषाधिकार हैं, देश के दूसरे हिस्सों में हैं अब वही जम्मू कश्मीर के निवासियों को भी माना जाएगा। इससे न सिर्फ लोगों के सशक्तिकरण में मदद मिलेगी, बल्कि अनुचित कानून भी हटा दिए जाएंगे। इसके साथ अब राज्य में जमीनी स्तर के लोकतंत्र का 3-स्तरीय सिस्टम स्थापित हो गया है।
क्या कहा जजों ने?
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, या न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने अनुच्छेद 370 पर अपना फैसला सुनाते हुए कुछ जरूरी बातें रखीं,
• सीजेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पास भारत के दूसरे राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है
• क्योंकि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, इसलिए राष्ट्रपति को इसे रद्द करने का अधिकार है। \
• जम्मू कश्मीर में 30 सितम्बर 2024 चुनाव तक।
• जब जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की विचारधारा समाप्त हो गई, तो जिस विशेष शर्त के लिए 370 लागू किया गया, उसकी भी विचारधारा समाप्त हो गई।
जहां पीएम मोदी या अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले से खुशी जताई तो वहीं उमर अब्दुल्ला जैसे क्षेत्रीय नेता इस पर नखुश नजर आए। ऐसे में देखना ये होगा कि अब जम्मू कश्मीर में हालात कैसे बदलते हैं या इनका दिल्ली की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।
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