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श्रीलंका में बुधवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे ने जीत हासिल की है. यह पहली बार था जब राष्ट्रपति पद के लिए तीन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था. नए राष्ट्रपति का चुनाव देश के अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की विफलता के विरोध में देश छोड़कर भाग गए गोटबाया राजपक्षे के विरोध में देश छोड़ने के बाद हुआ था. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के चुनाव के बाद राजधानी कोलंबो में फिर से प्रदर्शन हो रहे हैं. ये प्रदर्शनकारी रानिल विक्रमसिंघे का विरोध कर रहे हैं. इस बार राष्ट्रपति पद के लिए रानिल विक्रमसिंघे, डलास अलहापेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना नेता अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच मुकाबला था.
विक्रमसिंघे शीर्ष पर थे
एसएलपीपी के अध्यक्ष जी एल पेइरिस ने मंगलवार को कहा कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकांश सदस्यों ने राष्ट्रपति पद के लिए अलग गुट के नेता अलहप्परुमा और प्रमुख विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा को प्रधान मंत्री के रूप में चुनने का समर्थन में थे लेकिन रानिल विक्रमसिंघे हमेशा दौड़ में सबसे आगे थे. विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले.
कौन हैं विक्रमसिंघे
श्रीलंका में एक प्रभावशाली सिंहली परिवार में जन्मे विक्रमसिंघे पेशे से वकील हैं. 28 साल की उम्र में उन्हें उप विदेश मंत्री का पद दिया गया था.उनकी कार्य क्षमता ने बहुत कम समय में कई नेताओं को प्रभावित किया था. 5 अक्टूबर 1977 को, विक्रमसिंघे को पूर्ण कैबिनेट पद मिला और वे युवा मामलों के मंत्री बने. वह 1980 के दशक की शुरुआत तक इस पद पर रहे. विक्रमसिंघे राजनीति में आगे बढ़ रहे थे. 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा को एक आत्मघाती हमले में लिट्टे के आतंकवादियों ने मार गिराया था. उनकी मृत्यु के बाद, प्रधान मंत्री डीबी विजितुंगा को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था. 7 मई 1993 को, विक्रमसिंघे को पहली बार देश के प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था.
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