शिवसेना सांसद संजय राउत पार्टी के मुखपत्र मराठी अखबार सामना के कार्यकारी संपादक हैं. वह शिवसेना से राज्यसभा सांसद हैं. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद सहयोगियों में से एक हैं. उनका भाषण और लेखन दोनों फायर ब्रांड हैं. लेकिन 2019 में शिवसेना ने बीजेपी पर अवज्ञा का आरोप लगाते हुए एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई. तभी से संजय राउत बीजेपी की नजर बने हुए हैं. इसका कारण स्पष्ट है, क्योंकि संजय राउत एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने भाजपा से सत्ता की गद्दी छीनकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस जैसे 3 अलग-अलग वैचारिक दलों की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
जब उन्होंने उद्धव ठाकरे के निर्देशों और शरद पवार की राजनीतिक चतुराई से राज्य में महा विकास अघाड़ी सरकार बनाने का अभूतपूर्व उपयोग किया, तो पूरे महाराष्ट्र ने उनके करिश्मे को आश्चर्य से देखा. उनके करिश्मे ने बीजेपी को सबसे ज्यादा आहत किया है. राउत ने उद्धव ठाकरे को उस सिंहासन पर बिठाया जिस पर देवेंद्र फडणवीस बैठने का सपना देख रहे थे. जहां उनके करिश्मे ने भाजपा को आहत किया, वहीं शिवसेना में उनके बढ़ते कद ने शिवसेना के अन्य नेताओं को भी आहत किया. राउत के बढ़ते सियासी ग्राफ ने उन्हें बीजेपी और शिवसेना के बागी नेताओं की नजर बना दी थी. एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना में जैसे ही उद्धव ठाकरे कमजोर हुए, राउत पर कार्रवाई तय मानी गई.
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