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कोरोना महामारी का दुनियाभर में क़हर जारी है। ऐसे में हर रोज़ कोरोमा संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वही इस महामारी से बचने के लिए दुनियाभर में कोरोना की वैक्सीन के लिए लगातार प्रयास जारी है। भारत हो या यूके हर जगह इस वैक्सीन को बनाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में इस महामारी से बचने के लिए यू.एस की तरफ से उम्मीद की किरण दिखती हुई नजर आ रही है। इसके साथ-साथ यूके ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उसके पास भी अमेरिकन कंपनी फाइजर में तैयार किया गया कोरोना का टीका है जोकि 90 प्रतिशत प्रभावी है लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में ये वैक्सीन पूरी तरह से इस महामारी को खत्म कर देगा।
इसके साथ ही फाइजर में तैयार वैक्सीन को बनाने के लिए एक तरह के तेल का इस्तेमाल किया गया है जिसको बनाने के लिए शार्क के लीवर में पाया जाने वाला तेल का प्रयोग किया गया है। वही इस तेल को स्टोर करने के लिए कांच की बोतल की भी जरुरत होती है। माना जा रहा है कि येवैक्सीन की कीमत लगभग 15 पाउंड प्रति खुराक है, जबकि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जा रही है वैक्सीन की कीमत लगभग 2.23 पाउंड प्रति डोज है। हालांकि दोनों ने अपने जैब से लाभ नहीं लेने पर सहमति जताई है। इस वैक्सीन को तैयार करने में शार्क का तेल, पेड़ की छाल और रेत की आवश्यकता होती है।
वही अब यह सवाल आता है कि इस वैक्सीन को बनाने के लिए ना जाने कितनी शार्क को मारना पड़ेगा और ब्रिटिश ग्लास मैन्युफैक्चरर्स कंफेडरेशन के मुख्य कार्यकारी डेव डाल्टन ने कहा कि शार्क के तेल को भरने के लिए कांच की शीशी का प्रयोग किया जाता है जोकि बोरोसिलिकेट ग्लास से बनाए जाते है लेकिन ब्रिटेन अब बोरोसिलिकेट ग्लास नहीं बनाता है, लेकिन विदेशों से फैशन के लिए लाखों की संख्या में वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए खरीदने के लिए सौदे हुए हैं जो प्रयोगशालाओं के लिए ग्लासवियर बनाते हैं। वहीं यूके में शीशियों के बड़े हिस्से से शीशियां बनाते हैं जो विदेशों से खरीदे जाते हैं।
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