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भारत में नारी को देवी का दर्ज़ा दिया गया है, और समय-समय पर नारी ने इसे दर्शाया भी है। साथ ही अब समाज में औरत और पुरुष को बराबरी का सम्मान दिया जाने लगा है। क्योंकि देश की महिलाओं ने हमेशा ये दर्शाया है कि औरतें किसी से कम नहीं होती। इसका ताज़ा उदाहरण है दिल्ली पुलिस में तैनात महिला हेड कॉन्स्टेबल सीमा ढाका। सीमा ने अपने शौर्य के दम पर साहस दिखाते हुए करीब 3 महीनों से चल रही 76 बच्चों की तलाश में कामयाबी हासिल कर अपना नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज़ कर दिया है। अपने साहस के दम पर इतना बड़ा कारनामा करने वाली सीमा ढाका को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का फैसला लिया गया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक जिन 76 बच्चों को ढूंढा गया है, उनमें से 56 बच्चों की उम्र14 साल से भी कम है। बता दें कि सीमा ढाका बाहरी-उत्तर जिले के समयपुर बादली पुलिस स्टेशन में तैनात है।
7 अगस्त के दिन दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने 14 साल से कम उम्र के 50 बच्चे या उससे अधिक गुमशुदा बच्चों की जान बचाने वाले कांस्टेबल या हेड कांस्टेबल को पुरुस्कार और सम्मान देने की घोषणा की थी। ढाका ने बताया कि उन्होंने सिर्फ दिल्ली से ही नहीं बल्कि, गुड़गांव, पश्चिम बंगाल, पंजाब के होशियारपुर, पानीपत, नोएडा और बिहार आदि के बच्चों को भी बचाया गया है।
शिक्षक परिवार से ताल्लुक रखती हैं सीमा
सीमा ढाका का ससुराल उत्तर प्रदेश के शामली जिले में है। सीमा जिस गांव की हैं और जिस परिवार से ताल्लुक रखती हैं उनमे ज्यादातर लोग टीचिंग के प्रोफेशन से जुड़े हुए हैं। सीमा ने बताया कि उन्हें बचपन से ही कहा जाता है कि महिलाओं के लिए टीचिंग प्रोफेशन सबसे अच्छा होता है। इसलिए मैंने भी कहीं न कहीं टीचर बनने का मन बना लिया था, और पढाई में भी ऐसे ही विषय चुने जिससे टीचर बन सकूं। लेकिन इसी बीच दिल्ली पुलिस के भर्ती के फॉर्म निकले और मैंने वो भर दिया। मैंने परीक्षा को पास कर लिया। जिसके बाद 2006 से में दिल्ली पुलिस के साथ जुड़कर अपनी सेवा दे रही हूं।
बढ़ौत में रहते हैं सीमा के पिता
सीमा ढाका का मायका बढ़ौत में हैं। उनकी शादी अनिक ढाका के साथ हुई थी और वो भी एक पुलिसवाले हैं। सीमा के पिता एक किसान हैं और उनका भाई प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है। सीमा ने बताया कि उनका कॉलेज गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर था, लेकिन सीमा को पढ़ने की लगन थी जिसके कारण वो साइकिल से कॉलेज जाया करती थी। आउट और टर्न प्रमोशन पाने के बाद को सभी लोग बधाई दे रहे हैं। सीमा की उम्र महज 34 साल है और 2006 में वो दिल्ली पुलिस में बतौर हेड कांस्टेबल भर्ती हुई थी और बाद में साल 2014 में इंटरनल एग्जाम देकर हेड कांस्टेबल बन गईं थी। इन सबके अलावा सीमा खुद 8 साल के बच्चे की मां हैं। पुलिसवाली होने के बाद भी सीमा बहुत ही भावुक इंसान हैं। उन्होंने खुद इस सेल में काम करने की इच्छा जताई थी।
दिल्ली के अंदर साल 2019 में 5412 बच्चों की गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए, जिनमे से दिल्ली पुलिस ने 3336 बच्चों की खोज में कामयाबी हासिल की। इसके बाद साल 2020 में अब तक 3507 बच्चे लापता हो चुके हैं जिनमे से 2629 बच्चों को दिल्ली पुलिस द्वारा खोज लिया गया है। इसी के बीच कोरोना काल के अंदर सीमा ने मात्र तीन महीने में 76 लापता बच्चों की खोजकर नया रिकॉर्ड बना दिया है।
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