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राजधानी दिल्ली की हवा का जहर कम नहीं हो रहा है. दिल्ली की हवा पिछले एक पखवाड़े से खराब है, जिसका असर आज भी देखने को मिला. राजधानी के आधा दर्जन से ज्यादा इलाकों में अभी भी हवा की गुणवत्ता यानी AQI 400 से ऊपर बनी हुई है. आनंद विहार, द्वारका, पटपड़गंज, वजीरपुर समेत कई इलाकों में आज सुबह नौ बजे एक्यूआई का स्तर 400 से ऊपर रहा. दिल्ली में प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर देखने को मिल रहा है. दिल्ली की दम घुटने वाली हवा के कारण बच्चों में सांस फूलने की समस्या आ रही है.
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दिल्ली में पराली जलाने और वाहनों से होने वाले प्रदूषण से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में आज सुबह एक महिला अपनी 3 साल की बेटी को लेकर पहुंची. इस बच्ची की आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. महिला ने बताया कि पिछले कई दिनों से इतनी परेशानी के बाद वह बेटी को डॉक्टर के पास लेकर आई है. इधर, प्रदूषण निगरानी संगठनों ने भी अपने ताजा शोध के आधार पर दिल्ली की हवा को बच्चों के लिए खतरनाक बताया है.
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प्रदूषण से बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा
एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट ने अपने नवीनतम शोध में कहा है कि सभी लोग, विशेषकर बच्चे और बुजुर्ग, हवा में एक प्रमुख प्रदूषक पीएम 2.5 के उच्च स्तर से पीड़ित हैं. हवा में घुले ये जहरीले कण बच्चों को सांस और हृदय संबंधी बीमारियों की ओर धकेल रहे हैं. टेरी ने 413 बच्चों पर किए गए स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आधार पर कहा कि 75.4 फीसदी बच्चों ने प्रदूषण के कारण सांस फूलने की शिकायत की. वहीं, 24.2% बच्चों की आंखों में खुजली, 22.3% को नियमित रूप से छींक या नाक बह रही थी और 20.9% बच्चों को खांसी थी. सर्वे में शामिल इन बच्चों की उम्र 14 से 17 साल के बीच थी.
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