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आज राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण को लेकर जवाब देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा है। ज्यादातर जो बात हुई वो आंदोलन को लेकर हुई लेकिन किस बात को लेकर आंदोलन हो रहा है? इस पर सभी मौन रहे हैं जो कि जरूरी बात है। अच्छा होता कि यदि इस पर भी बात होती। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन पर इस वक्त राजनीति हावी हो रही है। विपक्ष ने इस पूरे मुद्दे पर अचानक से ही यू-टर्न लेने का काम किया है। इसके अलावा पीएम नरेंद्र ने आंदोलन को खत्म करने की अपील की है।
किसान आंदोलन पर बात रखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा ,"खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ कहां है? मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण जी की बात बताना चाहता हूं। वो छोटे किसानों की दयनीय स्थिति पर हमेशा चिंता करते थे।'' इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा, ''कृषि सुधारों की बात करने वाले अचानक से पीछे हट गए। पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या? जब हम चुनाव आते ही एक कार्यक्रम करते हैं कर्जमाफी, ये वोट का कार्यक्रम है या कर्जमाफी का? ये हिन्दुस्तान का नागरिक भली भांति जानता है।"
इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि एमएसपी है, था और रहेगा। नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘’हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि परिवर्तन से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी। एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा। इस सदन की पवित्रता समझें हम। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है वो भी लगातार रहेगा।"
आंदोलन जीवी को लेकर अपनी बात रखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं, जैसे श्रमजीवी, बुद्धिजीवी। ये सभी शब्दों से परिचित हैं लेकिन पिछले कुछ समय से मैं देख रहा हूं कि देश में एक नई जमात पैदा हो गई है, एक नई बिरादरी पैदा हुई है और ये आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे। वकीलों का आंदोलन हैं वहां नजर आएंगे, स्टूडेंट का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे। मजदूरों का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे। कभी पर्दे के पीछे तो कभी पर्दे के आगे। ये पूरी टोली है, जो आंदोलन जीवी है। यह आंदोलन के बगैर जी नहीं सकती हैं और आंदोलन के जरिए जीने के लिए रास्ते खोजते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। ये हर जगह पहुंचकर गुमराह करते हैं। देश आंदोलनजीवी लोगों से सावधान बचे इसके लिए हम सबको। वो खुद खड़ा नहीं कर सकते हैं चीजें. किसी का चल रहा हो तो जाकर बैठ जाते हैं वहां पर। ये सारे आंदोलन जीवी परजीवी होते हैं।'
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