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'भारत जोड़ो यात्रा' में एकजुट नहीं दिखा विपक्ष, आमंत्रण के बाद भी नहीं पहुंचे कई दल

'भारत जोड़ो यात्रा' को समाप्त होने के बाद अब समझना जरूरी हो गया है कि इस जनसंपर्क से राहुल गांधी को या कहे कांग्रेस को क्या मिला? इस यात्रा के पीछे यह विचार था कि अपने दोहरे राजनीतिक लक्ष्यों के माध्यम से कांग्रेस के चुनावी भाग्य को बदल देगी.

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By विपिन यादव | खबरें - 31 January 2023

राहुल गांधी की अगुआई में शुरु हुई कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा समाप्त हो गई है. यात्रा ने एक दर्जन राज्यों से होते हुए करीब 4 हजार किलोमीटर का सफर तय किया. यात्रा की शुरुआत सितंबर में कन्याकुमारी से हुई थी और 29 जनवरी को श्री नगर में लाल चौक पर राहुल गांधी के तिरंगा फहराने के साथ समाप्त हो गई. इस यात्रा के माध्यम से कांग्रेस ने विपक्ष को एकजुट करने की भरपूर कोशिश की. कुछ लोगों का साथ मिला और कुछ लोगों ने किनारा कर लिया. 

इस यात्रा से कांग्रेस को क्या मिला ?

अब समझना जरूरी हो जाता है कि इस जनसंपर्क से राहुल गांधी को या कहे कांग्रेस को क्या मिला? इस यात्रा के पीछे यह विचार था कि अपने दोहरे राजनीतिक लक्ष्यों के माध्यम से कांग्रेस के चुनावी भाग्य को बदल देगी. अब ऐसा होगा या नहीं यह तभी पता चलेगा जब 2023 के 9 राज्यों के चुनाव फरवरी में शुरू होंगे. बता दें कि इस साल जम्मू और कश्मीर में भी चुनाव हो सकते हैं. 

AAP कर रही अपने पद चिन्ह का विस्तार 

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पास एक भी लोकसभा सांसद नहीं हैं. लेकिन यह एकमात्र बीजेपी विरोधी पार्टी है जो राज्यों में अपने पद चिन्ह का विस्तार कर रही है. केजरीवाल खुद को पीएम मोदी का विकल्प बताया है. कांग्रेस और आप में दोनों काम काजी संबंध अच्छे नहीं हैं. नीतीश, ममता और केसीआर के साथ भी संबंध अच्छे नहीं हैं. 

ये नेता हैं प्रधानमंत्री पद की रेस में 

इसके बाद, कांग्रेस के टीएमसी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ भी अच्छे समीकरण नहीं हैं. ममता बनर्जी को भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके तेलंगाना समकक्ष के. चंद्रशेखर राव भी कुछ समय पहले प्रधानमंत्री पद की रेस में बने हुए थे. 

21 दलों को भेजा गया था न्योता 

भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम के लिए कांग्रेस ने 21 दलों के नेताओं को न्योता दिया था. इनमें से 12 दलों ने इस कार्य्रकम में आने की सहमति दी थी. वहीं, नौ दलों ने इससे दूरी बना ली थी. हालांकि, खराब मौसम की वजह से कुछ ही दलों के नेता कश्मीर पहुंचे.

सहयोगी होने के बाद भी नहीं शामिल हुए नीतीश कुमार 

हैरानी बात ये है कि बिहार में कांग्रेस के सहयोगी होने के बावजूद सीएम नीतीश यात्रा में शामिल नहीं हुए. यहां तक ​​कि उन्होंने केसीआर की विपक्षी एकता रैली में भी हिस्सा नहीं लिया. बिहार में कांग्रेस की एक और सहयोगी राजद भी राहुल के लॉन्ग मार्च से दूर रही. बहुजन समाज पार्टी ने और समाजवादी पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा से दूरी बनाए रखी.

आमंत्रण के बावजूद ये दल नहीं शामिल 

भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में कई बड़े विपक्षी दल शामिल नहीं हुए. इनमें अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बसपा, आम आदमी पार्टी जैसे दल शामिल थे. एक्सपर्ट कहते हैं कि इन दलों के इस कार्यक्रम में शामिल होने के उम्मीद थी भी नहीं. टीएमसी से लेकर आप तक के नेता खुद को प्रधानमंत्री पद के दौड़ में रखना चाहते हैं. इनमें से ज्यादातर दल कांग्रेस की जमीन पर ही बढ़े हैं. 

ऐसे में साफ है कि विपक्षी पार्टियों ने कहीं ना कहीं कांग्रेस को साइडलाइन कर दिया है. हालांकि, ये कहना बिल्कुल गलत होगा कि कांग्रेस के पास कोई उम्मीद नहीं है. कांग्रेस को एक बार फिर संगठन का निर्माण करना होगा और मतदाताओं के दिलों को जीतना होगा, तभी बीजेपी का मुकाबला किया जा सकता है.

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