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कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के केस अब भारत के अलावा कई देशों में मिल चुके हैं, जिसे लेकर उनकी चिंता बढ़ गई है. शोधकर्ता लगातार इसके बारे में समझने की कोशिश कर रहे हैं. ओमिक्रॉन के संक्रमण को लेकर एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि ये बिल्कुल भी आम सर्दी-जुकाम की तरह नहीं है. इसीलिए इसकी पहचान करना और भी मुश्किल है.
शोधकर्ताओं का ये कहना है कि उम्मीद है कि यह वायरस ने सामान्य जुकाम वाले वायरस से आनुवंशिक सामग्री ली हो या फिर अपना कम से कम एक म्यूटेशन किया हो. इससे पहले भी कई शोध में इस बात का जिक्र किया गया है कि ओमिक्रॉन संक्रमण के लक्षण बाकी वैरिएंट्स से बिल्कुल अलग दिखाई दे रहे हैं. इसके लक्ष्ण कुछ ज्यादा गंभीर नहीं है. यहीं वजह है कि संक्रमित लोगों को इसका पता लगने में और ज्यादा देरी लग सकती है.
सामान्य जुकाम की तरह दिखाता है ये वायरस
ओमिक्रॉन का संक्रमण संभवत: सामान्य जुकाम की तरह दिखता है. इसी बात को लेकर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वेंकी सुंदरराजन के अंतर्गत एक रिसर्च की गई है, समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के माने तो शोध में पता चला है कि यह म्यूटेशन एक सेल में हुआ होगा जो SARS-Cov-2 और कोल्ड वायरस दोनों को ही होस्ट करने का काम करता है.
रॉयटर्स की माने तो शोध में मिली जानकारी का मतलब ये हो सकता है कि ओमिक्रॉन वायरस अधिक तेजी से फैलता है. मगर इसके लक्षण या तो नहीं दिखते हैं या फिर काफी हल्के नजर आते हैं. ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या ओमिक्रॉन कोरोना वायरस के अन्य दूसरे वेरियंट्स से अधिक खतरनाक और क्या ये गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है? अब सवाल ये उठाता है कि क्या ये वायरस दुनिया भर में तबाही मचाने वाले वैरिएंट डेल्टा से भी आगे निकल सकता है? इन सभी सवाल पर वैज्ञानिकों का शोध चल रहा है.
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