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केंद्र सरकार ने दवा, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइसेस के लिए नए कानून पारित करने के लिए एक पैनल का गठन किया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पैनल में आठ लोग होंगे और इसके प्रमुख ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) वीजी सोमानी होंगे. पैनल 30 नवंबर को अपने सुझावों को मोदी सरकार के सामने पेश करेगी. देश की शीर्ष नियामक संस्था केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के अनुसार ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत दवाओं और कॉस्मेटिक्स के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को संचालित किया जाता है. हालांकि इस एक्ट को संशोधित करते हुए मेडिकल डिवाइसेस को भी इसमें जोड़ा गया है.
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सूत्रों से खबर आई है कि केंद्र सरकार ने न्यू ड्रग्स, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइसेस बिल के लिए कमेटी के गठन का फैसला किया है. कमेटी की सिफारिशों पर न्यू ड्रग्स, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइसेस के ऊपर अलग से एक्ट बनाया जाएगा. सरकार द्वारा गठित पैनल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डायरेक्टर राजीव वाधवान, ज्वॉइंट ड्रग कंट्रोलर डॉ. ईश्वरा रेड्डी, ज्वॉइंट ड्रग कंट्रोलर एके प्रधान, आईएएस अधिकारी एनएल मीणा के साथ हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के ड्रग कंट्रोलर भी होंगे.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल डिवाइस को ड्रग कैटेगिरी के अंतर्गत खरीदा था क्योंकि इन डिवाइसेस को चलाया किया जा सके. फॉर्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के अनुसार नए कानून वक्त की जरूरत है. शीर्ष दवा कंपनी के लॉबी ग्रुप का प्रतिनिधित्व कर रहे एक अधिकारी का कहना है कि, ‘पुराना कानून 1940 में बना था और उसके बाद से इसमें कई सारे संशोधन पारित हो चुके हैं. ये अब बहुत उलझाऊ और अस्पष्ट हो गया है.’
उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार अभी प्रक्रिया शुरू कर रही है तो इसमें कम से कम एक साल का वक्त लगेगा. नया ड्राफ्ट पहले लोकसभा जाएगा, फिर राज्यसभा और उसके बाद प्रेसिडेंट के पास जाएगा.’ एक अन्य दवा कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा कानून किसी भी नई चीज के बारे में बात नहीं करता है. उदाहरण यह दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के बारे में बात नहीं करता है, क्योंकि यह आजादी के पहले का कानून है. हमें नया कानून तुरंत चाहिए, लेकिन इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ये मान रहे है कि सरकार को पैनल में दूसरे फील्ड से ताल्लुक रखने वाले लोगों को भी इसमें रखना चाहिए. एसोशिएसन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइसेस इंडस्ट्री के फोरम को-ऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा, ‘अन्य साझेदारों के बिना इस तरह की कमेटी का गठन किया जाना हितों के फसलों को बढ़ाता है, क्योंकि इसमें मैन्युफैक्चर्स, डॉक्टर्स, बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक, उपभोक्ता और मरीजों के संगठन का कोई सामना नहीं है.’
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