Hindi English
Login

सिर को चूल्हा बनाकर लगाते हैं आग फिर पकाते हैं चावल, जानिए किस गांव में होली की रात होता है ऐसा अनुष्ठान

गोवा से चौंका देने वाली खबर सामने आई है जहां अवे में श्री मल्लिकार्जुन देवता के तीन मंदिर, कानाकोना में श्रीस्थल और गाओडोंगरी में होली के दौरान हर दो साल में वीरमेल और शीशरन्नी मनाया जाता है.

Advertisement
Instafeed.org

By Pooja Mishra | खबरें - 18 March 2022

गोवा से चौंका देने वाली खबर सामने आई है जहां अवे में श्री मल्लिकार्जुन देवता के तीन मंदिर, कानाकोना में श्रीस्थल और गाओडोंगरी में होली के दौरान हर दो साल में वीरमेल और शीशरन्नी मनाया जाता है.

यह भी पढ़ें:रंगों का त्योहार आज, लोग हर्षोल्लास से मना रहे है होली

भक्तों के सिर चूल्हे की तरह प्रयोग किए जाते हैं

आपको बता दें कि, शिशर्णी अनुष्ठान में भारी भीड़ जुटती है. तीन भक्तों के सिर पर रखे मिट्टी के बर्तन में पकाए जाने वाले चावल का अनुष्ठान देखने के लिए भक्तों की भीड़ लगती है. तीनों भक्तों के सिर चूल्हे की तरह प्रयोग किए जाते हैं. बीच में आग लगाई जाती है और उसमे चावल पकाए जाते हैं.

यह भी पढ़ें:देशभर में होली का जश्न, राष्ट्रपति, पीएम मोदी ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं

आदिवासी पुरुष करते हैं लोक नृत्य

अचरज की बात तो यह है की इस अनुष्ठान में भक्तों को कुछ नहीं होता है. कानाकोना की आदिवासी बस्तियां खाली हो जाती है. जंगली पहाड़ियों में एक आश्रय में आदिवासी वेलिप पुरुष लोक नृत्य करते हैं और अपने पूर्वजों द्वारा मनाई गई प्रथाओं की पुनरावृत्ति में मितव्ययी शाकाहारी भोजन खाते हैं. वीरामेल में पारंपरिक पोशाक पहने और तलवार लेकर नाचने वाले भक्त बारात निकालते हुए घर-घर जाते हैं. कृषि प्रधान आदिवासी क्षेत्रों में, होली को शिग्मो के रूप में मनाया जाता है.

Advertisement
Advertisement
Comments

No comments available.