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लोकसभा ने आज एक विधेयक पारित किया, जो कानून बनने पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़े समुदायों (ओबीसी) की अपनी सूची तैयार करने की अनुमति देगा. ये सूचियां केंद्र सरकार से अलग हो सकती हैं. विधेयक को 385 मतों के साथ पारित किया गया था और इसके खिलाफ कोई नहीं था.
संविधान (एक सौ सत्ताईसवां संशोधन) विधेयक, 2021, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मई में सुप्रीम कोर्ट के एक स्पष्ट फैसले को पूर्ववत करने के लिए लाया गया था कि केवल केंद्र सरकार ही ओबीसी सूची तैयार कर सकती है. मराठा आरक्षण मुद्दे पर सुनवाई के दौरान अदालत की यह सख्ती आई और 2018 में पारित एक कानून का हवाला दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था, "संसद द्वारा किए गए संशोधन के कारण राज्यों के पास सामाजिक रूप से आर्थिक रूप से पिछड़ी जाति सूची में किसी भी जाति को जोड़ने की कोई शक्ति नहीं है." सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने आज विधेयक पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक कानून बताया क्योंकि इससे देश की 671 जातियों को लाभ होगा.
शिवसेना ने आज लोकसभा में विधेयक में एक संशोधन लाया, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा, जिसके खिलाफ 305 वोट पड़े और इसके पक्ष में केवल 71 वोट पड़े.
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