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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का राजकीय अंतिम संस्कार टोक्यो के निप्पॉन बुडोकन कम्युनिटी सेंटर में किया जा रहा है. आबे (67) की आठ जुलाई को चुनाव प्रचार के दौरान एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इसमें पीएम मोदी समेत 700 से ज्यादा वर्ल्ड लीडर मौजूद हैं. आबे के सम्मान में भारत में नौ जुलाई को एक दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया था.
राजकीय अंतिम संस्कार का विरोध
पारिवारिक तौर पर शिंजो आबे का अंतिम संस्कार 15 जुलाई को कर दिया गया था. आज ढ़ाई महीने बाद राजकीय अंतिम संस्कार हो रहा है. जापन में बड़ी संख्या में लोग राजकीय अंतिम संस्कार का विरोध कर रहे हैं. निप्पॉन बुडोकन के बाहर लोगों का प्रदर्शन जारी है. जापान में शाही परिवार और प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार आमतौर पर सरकारी खर्च पर नहीं किया जाता. अंतिम संस्कार पारिवारिक लोग करते हैं. हालाँकि आबे का राजकीय संस्कार सरकार कर रही है.
राजकीय अंतिम संस्कार में 97 करोड़ खर्च
इस प्रतीकात्मक राजकीय अंतिम संस्कार पर करीब 97 करोड़ रुपए खर्च हुए है. इसी कारण जनता और विपक्ष के लोग विरोध कर रहे हैं. और इसे पैसों की बर्बादी बता रहे हैं. गौरतलब है कि, जापान में दूसरी बार किसी पीएम का राजकीय अंतिम संस्कार हो रहा है. इससे पहले, 1967 में शिगेरु योशिदा के लिए राजकीय अंतिम संस्कार हुआ था.
पीएम मोदी और आबे के बीच घनिष्ठता
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी और आबे के बीच काफी निकटता रही थी. आबे के निधन पर पीएम मोदी ने एक भावुक ब्लॉग लिखा था. पीएम मोदी ने कहा, ‘शिंजो आबे न सिर्फ जापान की एक महान विभूति थे, बल्कि विशाल व्यक्तित्व के धनी एक वैश्विक राजनेता थे. भारत-जापान की मित्रता के वे बहुत बड़े हिमायती थे. बहुत दुखद है कि अब वे हमारे बीच नहीं हैं. उनके असमय चले जाने से जहां जापान के साथ पूरी दुनिया ने एक बहुत बड़ा विजनरी लीडर खो दिया है, तो वहीं मैंने अपना एक प्रिय दोस्त….
पीएम मोदी ने आबे की याद में लिखा, ‘ आज उनके साथ बिताया हर पल मुझे याद आ रहा है. चाहे वो क्योटो में ‘तोज़ी टेंपल’ की यात्रा हो, शिंकासेन में साथ-साथ सफर का आनंद हो, अहमदाबाद में साबरमती आश्रम जाना हो, काशी में गंगा आरती का आध्यात्मिक अवसर हो या फिर टोक्यो की ‘टी सेरेमनी’, यादगार पलों की ये लिस्ट बहुत लंबी है.’
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