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गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर पर सांप्रदायिक तौर पर संवेदनशील एक वीडियो सामने आने के केस में सोमवार के दिन ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक को इस बात के लिए आगाह करने का काम किया था कि यदि वह 24 जून को उसके सामने पेश नहीं हुए और जांच में शामिल तक नहीं हुए तो इसे केस के अंदर आ रही परेशानी के समान ही माना जाएगा और यहां तक की कानूनी कार्रवाई तक की जाएगी, लेकिन अब कोर्ट ने इस बात पर रोक लगा दी है.
इस मामले में ट्विटर के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी के वकील ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को बताया कि वह (मनीष महेश्वरी) संगठन के कर्मचारी हैं और उनका इस केस से कोई लेना-देना नहीं है. मनीष माहेश्वरी के वकील ने इस बारे में कर्नाटक उच्च न्यायलय तक को बताया कि उनका मुवक्किल इस वक्त बेंगलुरू में है. वकील ने ये तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान को दर्ज किया जा सकता है, लेकिन गाजियाबाद पुलिस उनकी व्यक्तिगत तौर पर उन्हें उपस्थित चाहती हैं.
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