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कोरोना वायरस के नए प्रकार की उत्पत्ति के रहस्य को अलग-अलग रिसर्च संस्थानों के वैज्ञानिकों ने खोजने का दावा किया है. प्रीप्रिंट सर्वर MedRxiv पर 27 जुलाई को प्रकाशित एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने कहा हा कि वायरस एक संक्रमित व्यक्ति में शरीर में बदलाव से गुजरता है. वहीं एक बार ऐसा हो जाने के बाद यह अपने इसी परिवर्तन के साथ नए लोगों को संक्रमित करता है. इसके परिणामस्वरुप नए वेरिएंट्स का विकास होता है. इसके साथ ही व्यक्तियों में लगभग 80 प्रतिशत जीनोम सीक्केंसिंग के बाद में नया वेरिएंट या स्ट्रेन उभरकर सामने आया.
वैज्ञानिकों का कहना है कि समय के साथ व्यक्तियों और आबादी में वायरस की परिवर्तनशीलता पर नज़र रखने से उन साइटों को महत्वपूर्ण प्रुफ मिल सकते हैं जो लाभ और हानि पहुंचाते हैं. अध्ययन के मुताबिक यह जानकारी आबादी में फैले वायरस के प्रकार और उसकी संक्रामकता का अनुमान लगाने में बहुत उपयोगी होगी. इंट्रा-होस्ट परिवर्तनशीलता के साथ संयुक्त कोरोनावायरस जीनोम का विश्लेषण अब अगला कदम होना चाहिए.
शोध में लगे हुए हैं संस्थान
इस शोध में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद, इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-IGIB), दिल्ली, इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज, भुवनेश्वर, एकेडमी फॉर साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च, गाजियाबाद, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज शामिल है.
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