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दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. नई आबकारी नीति मामले में अभी पूछताछ जारी है. तभी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 'फीडबैक यूनिट' कथित जासूसी मामले में मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. 8 फरवरी को सीबीआई ने गृह मंत्रालय से मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी.
बीजेपी ने गृह मंत्रालय के फैसले का किया स्वागत
गृह मंत्रालय के मंजूरी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के फैसले का स्वागत किया है. बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा है कि, "मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने एक यूनिट बनाई, कैमरा खरीदे गए और तमाम अफसरों को इसके अंदर नियुक्त किया गया था. गैर-कानूनी तरीके से इन्होंने कई मीडिया संस्थानों के अफसरों की भी जासूसी करवाई है."
क्या है फीडबैक यूनिट
दरअसल, 2015 के विधानसभा चुनाव के कुछ महीनों के भीतर आम आदमी पार्टी सरकार ने कथित तौर पर सतर्कता विभाग को मजबूत करने के लिए एक फीडबैक यूनिट बनाई थी. आरोप है कि इस फीडबैक यूनिट की आड़ में जासूसी कराई गई. इस संबंध में सीबीआई को एक शिकायत दी गई थी और शुरुआती जांच में सीबीआई ने पाया कि फीडबैक यूनिट के जरिए राजनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा की गई थी.
सीबीआई ने 12 जनवरी को सतर्कता विभाग को सौंपी थी नोटिस
सीबीआई ने 12 जनवरी, 2023 को सतर्कता विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के लिए एलजी की मंजूरी मांगी गई. इसके बाद, सीबीआई के अनुरोध को गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया.
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