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पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि बैठने और सोचने के बजाय कि "हम उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं", दुनिया को अफगानिस्तान को प्रोत्साहित करने और तालिबान को कुछ और समय प्रदान करने के लिए आगे आना चाहिए. इमरान खान की टिप्पणी में 'हम' का मतलब संयुक्त राज्य अमेरिका से था न कि पाकिस्तान से जैसा कि इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में कठपुतली सरकार को खारिज करने की परंपरा है. "अफगानिस्तान में कोई कठपुतली सरकार लोगों द्वारा समर्थित नहीं है. इसे लोगों के बीच बदनाम किया जाता है.
पाकिस्तान के पास खुफिया जानकारी थी कि तालिबान पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा नहीं कर पाएगा और अमेरिकी सेना के जाने के बाद खूनखराबा होगा. इमरान खान ने कहा कि अब दुनिया को तालिबान को एक वैध सरकार बनाने और अपने वादों को पूरा करने के लिए और समय देना चाहिए.
तालिबान शासन के तहत महिलाओं के अधिकारों के बारे में पूछे जाने पर, इमरान खान ने कहा कि यह सोचना गलत है कि कोई बाहर से अफगान महिलाओं को अधिकार दे पाएगा. खान ने कहा, "अफगान महिलाएं स्ट्रिंग हैं. उन्हें समय दें. उन्हें उनका अधिकार मिलेगा." इतना ही आतंकी नेटवर्क हक्कानी को लेकर पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने अमेरिका की समझ पर सवाल खड़ा कर दिया है.
सीएनएन को दिए साक्षात्कार में इमरान खान ने खुलकर कहा है कि ‘हक्कानी नेटवर्क को अमेरिका कभी समझ ही नहीं सका’. हक्कानी नेटवर्क की छवि चमकाने के लिए उन्होंने कहा-‘हक्कानी पाकिस्तान की पश्तून ट्राइब है. ये लोग मुजाहिदीन थे जिन्होंने सोवियत के खिलाफ जंग लड़ी थी.
अमेरिका के साथ चाहते हैं बेहतर संबंध’
इंटरव्यू के दौरान इमरान खान की भारत को लेकर खीझ एक बार फिर दिखाई दी. अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं के हटने के बाद अमेरिका के साथ संबंधों पर इमरान खान ने कहा-मेरी जो बाइडेन से बातचीत नहीं हुई है. उन्होंने कहा-अमेरिका को हमारे साथ वैसे ही संबंध रखने चाहिए जैसे वो भारत के साथ रखता है.
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