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बिहार की सियासत में नया इतिहास लिखने की दहलीज पर खड़े तेजस्वी यादव का आज जन्मदिन है। तेजस्वी यादव 31 साल के हो गए हैं। तेजस्वी यादव का जन्मदिन इस बार ऐसे संजोग पर पड़ा है कि वो खुलकर अभी इसका जश्न नहीं मना सकते हैं, क्योंकि जन्मदिन के एक ही दिन बाद यानि कि मंगलवार को बिहार के चुनावी नतीजे आने हैं और बिहार में माहौल पूरी तरह से तेजस्वी यादव के पक्ष में नजर आ रहा है। फिर भी तेजस्वी ने घर में ही रहकर अलग अंदाज में जन्मदिन मनाया। रात को उनके घर पर ही केक काटा गया। इस मौके पर लालू की 2 बेटियां और दामाद भी नजर आए। साथ ही तेजस्वी की मां राबड़ी देवी और तेज प्रताप यादव भी साथ थे।
5 साल राजनीति का अनुभव और मुख्यमंत्री की दहलीज पर
राजनीति में सिर्फ 5 साल का अनुभव रखने वाले तेजस्वी यादव आज बिहार के मुख्यमंत्री बनने की दहलीज पर खड़े हैं। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले एग्जिट पोल में महागठबंधन को बड़ी जीत मिलती दिखाई दे रही है और अगर नतीजे भी कुछ ऐसे ही होते हैं तो तेजस्वी यादव 31 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन जाएंगे और 15 साल के बाद बिहार की सत्ता पर कोई नया चेहरा काबिज होगा।
करियर का पहला ही चुनाव जीते तेजस्वी
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीति से एकदम दूर रहने वाले तेजस्वी यादव ने पहला चुनाव साल 2015 में ही लड़ा था। वो राघोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे और पहला ही चुनाव जीते भी। यहां वो सिर्फ चुनाव जीते ही नहीं थे बल्कि सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम का पद भी दिया गया था। तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव की तैयारी तो उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाने की थी, लेकिन वो 25 साल के नहीं हो पाने की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ पाए थे। हालांकि लोकसभा चुनाव में तेजस्वी ने आरजेडी के लिए चुनाव प्रचार किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बिहार की 40 सीटों में से आरजेडी को सिर्फ 4 सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में तेजस्वी की मां राबड़ी देवी सारन से और मीसा भारती पाटलिपुत्र से चुनाव हार गईं थी।
लालू के हैं दो लाल, फिर क्यों पार्टी की कमान तेजस्वी को?
लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद पार्टी की जिम्मेदारी उनके दोनों बेटों पर ही थी। तेज प्रताप यादव लालू के दूसरे बेटे हैं, जो कि बड़े हैं और तेजस्वी यादव छोटे हैं। तेजस्वी यादव ने जिस तरह से खुद को राजनीति में स्थापित किया है, उससे हर कोई हैरान है। राजनीति में उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी हैं, लेकिन पार्टी की कमान और अब हो सकता है कि राज्य की भी कमान तेजस्वी यादव को मिल सकती है। तेजस्वी और तेज प्रताप की अगर तुलना की जाए तो सबसे बड़ा अंतर ये देखने को मिलता है कि तेजस्वी बहुत ही गंभीर और शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं। वहीं तेज प्रताप यादव के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि उनका और विवादों का बहुत पुराना नाता रहा है। कभी उनके सियासी बयानों की वजह से तो कभी पर्सनल लाइफ के चलते भी तेजप्रताप यादव विवादों में रह चुके हैं।
राजनीति में नहीं बल्कि क्रिकेट में करियर बनाना चाहते थे तेजस्वी
5 साल राजनीति का अनुभव रखने वाले तेजस्वी यादव ने पिछले 3 साल के अंदर जिस स्पीड से खुद को प्रमुख नेता के तौर पर उभारा है, उससे इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि राजनीति में आना तेजस्वी यादव का लक्ष्य नहीं था, बल्कि वो क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहते थे। दरअसल, तेजस्वी यादव 2008 से लेकर 2012 तक आईपीएल का भी हिस्सा थे। आईपीएल में वो दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम में थे, लेकिन 4 साल तक उन्हें एक भी बार प्लेइंग इलेवन में नहीं चुना गया। बस यहीं से उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया। आईपीएल से पहले तेजस्वी यादव घरेलू क्रिकेट खेल चुके थे। झारखंड के लिए उन्होंने 2 रणजी मैच भी खेले हैं। तेजस्वी यादव उस वक्त अंडर 19 टीम में थे, जब विराट कोहली भी अंडर-19 टीम में खेल रहे थे।
2010 में राजनीतिक मंच पर दिखे थे तेजस्वी
क्रिकेट छोड़ देने के बाद तेजस्वी यादव ने अपना पूरा ध्यान राजनीति पर लगाया। पहली बार तेजस्वी राजनीतिक मंच पर साल 2010 में दिखाई दिए थे। उस वक्त बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहा था। इस चुनाव में तेजस्वी ने आरजेडी के लिए प्रचार किया था। उस चुनाव में पार्टी को सिर्फ 22 सीटें मिली थी। 2013 में लालू के गिरफ्तार हो जाने के बाद पार्टी तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिए एकसहमति नहीं थी।
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