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इन चार खास वजहों से होता है ये खतरनाक ब्रेन स्ट्रोक, दिमाग में बहने लगता है खून!

हिमर्ऐगिक स्ट्रोक के बारे में आइए जानते हैं यहां जिसके चलते लोगों को काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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By Deepakshi | खबरें - 05 November 2020

इस वक्त हम जिस तरह से अपनी जिंदगी जी रहे हैं उसमें कई तरह की बीमारियों लोगों को होती हुई नजर आ रही है। दिमाग के साथ-साथ इंसान के दिल पर भी काफी ज्यादा असर देखने को मिलता है।  लेकिन कई बार सेहत से जुड़ी चीजों को लेकर अधूरे ज्ञान के चलते लोगों को अधिक परेशानी हो जाती है। हिमर्ऐगिक स्ट्रोक के बारे में यहां, जोकि ब्रेन स्ट्रोक का ही एक प्रकार होता है, जिसके चलते लोगों को काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है। 

हिमर्ऐगिक स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं - इंट्रासेरेब्रल और सबराचेनॉइड हैमरेज। यह इस बात पर निर्भर करता है कि खून मस्तिषक के अंदर या मस्तिष्क की सतह पर पूर्वव्यापी रूप से होता है या नहीं। फिर भी वे दोनों समान जोखिम वाले कारकों को पैदा करते हैं। स्ट्रोक एसोसिएशन ने इंट्रासेरेब्रल और सबराचोनोइड हिमर्ऐगिक के बीच अंतर को समझाया है। इंट्रासेरेब्रल हेमोरेज तब होता है जब मस्तिष्क के भीतर एक आर्टरी फट जाती है, इससे मस्तिष्क के भीतर बिल्डिंग होती है।

सबराचेनॉइड हिमर्ऐगिक तब होता है जब मस्तिष्क की सतह पर एक आर्टरी फट जाती है, जिससे मस्तिष्क और खोपड़ी के बीच फ्लूड से भरे स्थान में बिल्डिंग होती है।" इसके अंदर चार कारकों से अधिक खतरा होता है, जिसमें से एक हाई बल्ड प्रेशर है। जब भी आपको स्ट्रोक पड़ेगा तो ऐसे में ये बताना काफी मुश्किल है कि आइडियल बल्ड प्रेशर रेंज क्या होगा। एक अन्य जोखिम कारक एन्यरिज्म, जो धमनी की दीवार का एक कमजोर क्षेत्र है जो फट सकता है। जोकि आटरी वॉल की एरिया को कमजोर करती है जोकि फिट सकती है। ऐसे में जैसे-जैसे हाई बल्ड प्रेशर बढ़ जाता है उससे एन्यरिज्म के फटने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।

कुछ लोग एन्यूरिज्म के साथ पैदा होते हैं, लेकिन कुछ चीजें हैं जो आपके द्वारा उन्हें विकसित करने की अधिक संभावना बनाती हैं। इनमें शामिल हैं- हाई ब्लड प्रेशर; धूम्रपान और परिवार का एन्यूरिज्म से जुड़ा इतिहास है। यदि आप खून को पतला करने वाली दवा का सेवन करते हैं तो आपको मस्तिष्क में बिल्डिंग का खतरा अधिक है। रक्त के पतले होने की दवा रक्त के थक्कों के जोखिम को कम करने के लिए निर्धारित होती है, फिर भी स्ट्रोक के जोखिम की निगरानी हेल्थकेयर प्रोफेशनल द्वारा ही की जाएगी।

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