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राजधानी दिल्ली में शराब घोटाले के बाद अब एक और घोटाले का दावा किया जा रहा है. दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नकली दवाएं मिली हैं. एलजी ऑफिस ने बताया कि अस्पताल में जिन दवाओं की जांच की गई, उनका सैंपल टेस्ट में फेल हो गया है. इसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जा रही खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की सिफारिश की. साथ ही अस्पताल से नकली दवाओं को तुरंत हटाने का निर्देश दिया गया है.
गुणवत्ता वाली दवाओं की जांच
सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश करते हुए दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव को लिखे नोट में कहा, यह चिंताजनक है कि ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं. दवाओं की खरीद के लिए भारी बजट आवंटन पर भी चिंता व्यक्त की गई है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में एलजी को पत्र लिखा है, उन्होंने कहा है कि उन्हें सीबीआई जांच कराने में कोई दिक्कत नहीं है.
सैंपलिंग का दायरा बढ़ाना चाहिए
आपको बता दें कि एम्लोडिपाइन, लेवेतिरसेटम, पैंटोप्राजोल नाम की दवाओं का परीक्षण किया गया था. इन दवाओं की जांच सरकारी और प्राइवेट दोनों लैब में फेल हो गई है. विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी लैब में भेजे गए 43 सैंपल में से 3 सैंपल फेल हो गए, जबकि 12 की रिपोर्ट अभी पेंडिंग है. निजी लैब में भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से 5 नमूने फेल हो गए हैं और 38 नमूने मानक गुणवत्ता के पाए गए हैं. सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जो दवाएं जांच में फेल हुई हैं, वे मानक गुणवत्ता की नहीं हैं. इस बारे में विजिलेंस विभाग का कहना है कि चूंकि 10 फीसदी से ज्यादा सैंपल फेल हो गए हैं, इसलिए विभाग को सैंपलिंग का दायरा बढ़ाना चाहिए.
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