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भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए वैक्सीन को मान्यता देने में झिझक रहा हो, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने अब भारत में बनी इस वैक्सीन को मान्यता दे दी है. ऑस्ट्रेलिया की इस घोषणा से उन हजारों भारतीयों को राहत मिली है, जो इस कोरोना वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मान्यता के ऑस्ट्रेलिया जाने का इंतजार कर रहे थे. इससे पहले, डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक से अतिरिक्त डेटा मांगकर इसकी मंजूरी को निलंबित कर दिया था.
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ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने यात्रियों को भारत की Covaccine और चीन की Sinopharm Company की BBIBP-CorV वैक्सीन के लिए यात्रा करने की अनुमति दी है. ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि जिन यात्रियों को टीका लगाया गया है, जिनकी उम्र 12 साल से अधिक है, वे अब ऑस्ट्रेलिया की यात्रा कर सकते हैं. ऑस्ट्रेलियाई सरकार को हाल ही में वैक्सीन से संबंधित ताजा आंकड़े दिए गए और यह पाया गया कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है. जिन यात्रियों को टीका लग गया है, उनके लिए भी कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा कम है. इसके साथ ही अब कोवाशील्ड या कोवैक्सीन कराकर ऑस्ट्रेलिया आने वाले भारतीय यात्रियों को पूर्ण टीकाकरण माना जाएगा. ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले हजारों छात्रों को इस घोषणा से बड़ी राहत मिली है. इतना ही नहीं अब प्रशिक्षित श्रमिक भी आसानी से ऑस्ट्रेलिया जा सकेंगे.
इससे पहले, डब्ल्यूएचओ के तकनीकी सलाहकार समूह ने मंगलवार को भारत बायोटेक से भारत के स्वदेशी एंटी-कोविद वैक्सीन 'कोवैक्सीन' को आपातकालीन उपयोग की सूची में शामिल करने के लिए अंतिम 'लाभ-जोखिम मूल्यांकन' करने के लिए 'अतिरिक्त स्पष्टीकरण' मांगा. तकनीकी सलाहकार समूह अब अंतिम मूल्यांकन के लिए 3 नवंबर को बैठक करेगा. इसके बाद पीएम मोदी ने WHO से भारतीय वैक्सीन को जल्द से जल्द पहचानने की अपील की.
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