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आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctors' Day) है. इस दिन हम 'भारत रत्न' बिधान चंद रॉय को सलाम करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को संबोधित करेंगे आईएमए इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. डॉक्टर रॉय ने मॉडर्न मेडिसिन में भारतीयों का विश्वास बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. वह महात्मा गांधी के दोस्त और उनके निजी डॉक्टर थे. आजादी से पहले, डॉ रॉय जब बंगाल की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का हिस्सा थे तब जरूरत पड़ने पर नर्स की ड्यूटी भी करते थे. खाली वक्त मिलता तो प्राइवेट में मरीजों को देखते, बेहद मामूली फीस लेकर. उनकी जयंती को भारत 'डॉक्टर्स डे' के रूप में मनाता है.
जब गांधीजी को दवा दिलाकर ही माने डॉ रॉय
जब महात्मा गांधी को आगा खान पैलेस में कैद करके रखा गया था तो उन्हें मलेरिया बुखार हो गया. गांधीजी अंग्रेजी दवा नहीं लेना चाहते थे. उन्होंने कहा, "मैं आपकी दवा क्यों लूं? क्या आप मेरे 40 करोड़ देशवासियों का मुफ्त में इलाज करते हैं?" इसपर डॉ रॉय ने जवाब दिया, "लेकिन महात्माजी, आपको क्या लगता है कि मैं किसे ठीक करने आया हूं. मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं, बल्कि उस इंसान को ठीक करने आया हूं जो मेरे लिए 40 करोड़ लोगों का नुमाइंदा है. क्योंकि मुझे लगता है कि अगर वो मर गया तो 40 करोड़ लोग मर जाएंगे और अगर वो जीता है जो 40 करोड़ लोग जिएंगे". गांधीजी के पास डॉक्टर साहब की बात मानने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा था. नवजीवन पब्लिशिंग हाउस की किताब 'दिस वॉज बापू' में इस बातचीत का ब्योरा है.
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