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भारत एक लोकतान्त्रिक देश हैं, जहां संविधान है और कानून भी है. उसी संविधान में धारा 14 के साफ़ तौर पर लिखा गया है की सबको समानता का अधिकार हैं, लेकिन भारत में कई बार ऐसा हुआ है कि भेदभाव देखने को मिलता है, भारत में कहीं जाती को लेकर भेदभाव तो कभी जेंडर डिक्रिमिनाशन, पर इस बार तो हद ही हो गयी क्युकि इस बार तो सरकार भेदभाव कर रही है वो भी बिचारे स्टूडेंट्स के साथ. अभी कुछ ही दिन पहले की बात है जब मोदी जी ने सबके सामने ये ऐलान किया था कि भाइयो बहनो CBSE बोर्ड के 12वीं के छात्रों के एग्जाम कैंसिल हो गए है सबको इंटरनल असिस्मेंट के थ्रू मार्क्स दिए जायेंगे. इस बात की जानकारी मिलते ही बच्चे खुशी से झूमने लगे इंस्टाग्राम पर रील्स की बौछार होने लगी,कि तभी अचानक CBSE द्वारा छात्रों की खुशियाँ पानी पानी हो गयी, दरअसल हुआ यूँ कि CBSE ने एक नोटिस जारी कर दिया.
जिसमें CBSE ने कम्पार्टमेंट, प्राइवेट, पत्राचार और इम्प्रोवेमेन्ट्स वाले जो स्टूडेंट हैं 10 और 12 के उनको ऑफलाइन एग्जाम देने के लिए कहा है, जबकि CBSE बोर्ड 10 वीं और 12 वीं के रेगुलर स्टूडेंट्स के एग्जाम का परिणाम भी आ चुका है, लेकिन CBSE रेगुलर और प्राइवेट में फर्क करने पर उतर आया है. जिस बात से छात्र बहुत ज्यादा परेशान हैं. इस साल उनके एग्जाम न करवा कर उनको इंटरनल असिस्मेंट के थ्रू परिणाम मिलने थे. जिसमें 10 वीं, 11 वीं और 12 वीं के अंको को जोड़कर उनके रिजल्ट बनाया गया है, जबकि कम्पार्टमेंट, प्राइवेट और पत्राचार और इम्प्रोवेमेन्ट्स वाले जो स्टूडेंट हैं 10 वीं और 12वीं के उनको ऑफलाइन एग्जाम देने के लिए कहा जा रहा है जिसकी वजह से छात्र परेशान हैं.
उनकी मानसिक और पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसा छात्रों का कहना है 1 जून को इस मामले में मोदी सरकार ने मीटिंग की थी. जिसके बाद CBSE के 12 के एग्जाम कैंसिल करने का आदेश दिया था ,जिसके 2 हफ्ते बाद ही 17 जून पता चला कि 25 अगस्त से 16 सितम्बर तक एग्जाम चलेंगे और 30 सितम्बर तक आएगा रिजल्ट. कई सरे स्टूडेंट्स ऐसे भी जिन्होंने ग्रेजुएशन के लिए अप्लाई कर दिया है और यहाँ तक की फीस भी जमा कर दी है, और कुछ स्टूडेंट्स तो फॉरेन स्टडी का प्लान बना चुके थे, लेकिन ये आदेश आने के बाद छात्र धर्म संकट में फस गए हैं. जिसपर सरकार भी कुछ नहीं कर रही है. और सुप्रीम कोर्ट में जो स्टूडेंट्स ने याचिका दायर की थी उस भी ख़ारिज कर दिया गया है.
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