इलेक्टोरल बॉन्ड भारत में हमेशा चर्चा का विषय रहा है. 2018 में इसकी शुरुआत के बाद से, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल हर चुनाव में चुनावी बांड का मुद्दा उठाते है.
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इलेक्टोरल बॉन्ड भारत में हमेशा चर्चा का विषय रहा है. 2018 में इसकी शुरुआत के बाद से, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल हर चुनाव में चुनावी बांड का मुद्दा उठाते है. इस बीच गुजरात चुनाव से ठीक पहले सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इलेक्टोरल बॉन्ड में निवेश का खुलासा हुआ है. बता दें कि राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए नकद चंदे के विकल्प के तौर पर इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की गई थी.
आरटीआई के जवाब
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक आरटीआई के जवाब में जानकारी दी है कि मार्च, 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत के बाद से अब तक 21 किस्तों में निवेश किया जा चुका है. स्टेट बैंक ने इन इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत 10,246 करोड़ रुपए के बॉन्ड बेचे है. सूचना के अधिकार कानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में एसबीआई ने कहा कि इनमें से अधिकतर बॉन्ड एक करोड़ रुपये के थे. सूचना के अधिकार में यह बात भी सामने आई है कि छोटे आकार के इलेक्टोरल बॉन्ड को अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला है. आरटीआई ने बताया कि दस लाख, एक लाख, दस हजार और एक हजार के निचले मूल्यवर्ग में बांड की कुल हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम थी. चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में, एसबीआई ने बताया कि बेचे गए कुल बॉन्ड में से लगभग 93.5 प्रतिशत 1 करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के थे. मूल्य के संदर्भ में, 1 लाख रुपये, 10,000 रुपये और 1,000 रुपये के मूल्यवर्ग में बांड का हिस्सा 0.25 प्रतिशत से कम था.
चुनावी बॉन्ड जारी
एसबीआई 29 अधिकृत शाखाओं के माध्यम से चुनावी बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत है. इनमें लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई में एसबीआई की शाखाएं शामिल हैं. केवल वे पंजीकृत राजनीतिक दल जिन्होंने पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत या अधिक वोट प्राप्त किए हैं, चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान प्राप्त करने के पात्र हैं.
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