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यूपी 2022 में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जिसमें मुकाबला सपा और भाजपा के बीच होना है. यूपी में कांग्रेस की लुटिया डूबी हुई है और मायावती की पार्टी भी कुछ खास नहीं कर पा रही है. कुछ समय पहले तक पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक उभरता हुआ नेता माना जाता था. 2012 में उनकी जीत को चमत्कार कहा गया, जिसके बाद 2017 के चुनाव में सपा की ताकत चाचा-भतीजे के बीच लड़ी गई और नतीजा यह रहा कि बीजेपी को तीन चौथाई से ज्यादा सीटें मिलीं. और अब 2022 के चुनाव के लिए भी बीजेपी तैयार है. अभी चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन राज्य में चुनावी रंजिश देखी जा सकती है.
इस चुनावी जंग के बीच कई न्यूज चैनलों ने यूपी के वोटरों का मिजाज नापने की जो कोशिशें की हैं, उनके नतीजे काफी चौकाने वाले हैं. राजनेता चाहे कितना भी दे दें और कितने ही सपने क्यों न दिखा रहे हों, लेकिन जनता मुंह खोलने को तैयार नहीं है. कई सर्वेक्षकों ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों के लोगों से बात की. जिसमें बुंदेलखंड, रोहिलखंड, ब्रज, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, अवध, पूर्वांचल-काशी और गोरखपुर संभागीय क्षेत्र शामिल हैं. जिसमें से दो हजार लोगों ने अपनी राय रखी है. लेकिन कुल 403 सीटों में से सिर्फ 178 सीटें ही नतीजे पर पहुंच पाईं.
जिसके मुताबिक बीजेपी की ट्रेंड सीटों की संख्या 79-85 ही हो सकती है. जबकि सपा को 89 से 90 सीटें मिलना तय है. बसपा और कांग्रेस सिग्नल डिजिट पार्टियां होंगी. आप का खाता खुलवाने के बाद भी मतदाता आश्वासन देते नजर आए. जनता की दृष्टि से ओम प्रकाश राजभर को सात सीटें मिलती दिख रही हैं. लेकिन ओबैसी का खाता नहीं खुल रहा है. जबकि निषाद पार्टी अपने विधायकों को सदन में भेजने में सफल होगी. गठबंधन की दृष्टि से जनमत में समाजवादी पार्टी किनारे पर है. भाजपा राज्य में सत्ता विरोधी लहर की गंभीर शिकार है.
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