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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव 82 का सोमवार को निधन हो गया. तबीयत नाजुक होने पर उन्हें इलाज के लिए गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उनका इलाज चल रहा था. मंगलवार की सुबह यानी की आज सुबह आठ बजकर 16 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. नेता जी के निधन की जानकारी समाजवादी पार्टी के अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर उनके पुत्र और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ट्वीट करके दी थी, जिसके बाद से सपा कार्यकर्ताओं की आंखें नम हैं.
साधना को पत्नी का दर्जा देने पर भड़के थे अखिलेश
मुलायम सिंह यादव राजनीति में बहुत ही कुशल खिलाड़ी थे. वह राजनीतिक कुशलता के अलावा अपने व्यक्तिगत जीवन में को लेकर चर्चा में रहते थे. बात चाहे बेहद खूबसूरत और तीखे नैन-नक्श वाली साधना गुप्ता पर पहली ही नजर में मर-मिटना हो या बेटे अखिलेश यादव की कड़ी नाराजगी पर समझौता करना हो. मुलायम सिंह यादव अपने परिवार में हमेशा ही एक तालमेल बिठाते नजर आए. लेकिन एक समय ऐसा भी था. जब बाप-बेटे के विचारों में बड़ा मतभेद दिखाई दिया था. इस दौरान मुलायम सिंह यादव ने बड़ा फैसला लिया .
दरअसल यह किस्सा है 2003 का, जब मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता को सार्वजनिक तौर पर अपनी पत्नी का दर्जा दिया था. उसी साल मुलायम सिंह की पहली पत्नी और अखिलेश यादव की मां मालती का निधन हुआ था.
बाप-बेटे में हुआ था समझौता
अखिलेश यादव की बायोग्राफी 'बदलाव की लहर' में बताया है कि साधना गुप्ता को मुलायम सिंह के पत्नी स्वीकार करने पर अखिलेश यादव अपने पिता से बहुत ज्यादा नाराज हुए थे. उस दौरान वह केवल 15 साल के थे. उस समय अखिलेश यादव महज 15 साल के थे. वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि साधना गुप्ता उनकी मां बनें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
साधना गुप्ता को पत्नी स्वीकार करने पर मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे के साथ एक बड़ा समझौता किया था. अखिलेश यादव की बायोग्राफी में यह भी बताया गया है कि अखिलेश और नेता जी बीच समझौता यह हुआ था कि, साधना गुप्ता और उनके बेटे प्रतीक यादव हमारी राजनीति से दूर रहेंगे. लेकिन जब सब कुछ सामान्य हो गया तो प्रतीक की पत्नी और साधना गुप्ता की बहू अपर्णा यादव राजनीति में कदम जरुर रखा और विपक्षी दल बीजेपी में शामिल हो गईं.
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