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लव जिहाद एक ऐसा शब्द है जिसे हर किसी ने सुना है। आजकल के समय में इस शब्द का इस्तेमाल कुछ ज्यादा ही हो गया है। खासतौर से तब जब 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में इस शब्द को क़ानूनी मान्यता प्रदान की है। आखिर क्या होता है इस शब्द का अर्थ? इस बारे में जानने से पहले ये जानना जरुरी है कि एक बार फिर ये शब्द प्रचलन में क्यों आ गया है? तो आपको बता दें कि देश के कई राज्यों में लव जिहाद शब्द के खिलाफ कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिसके चलते सबसे पहले मध्य प्रदेश में इसको रोकने के लिए कानून बनाने की बात की गई और उसके बाद उत्तर प्रदेश में भी लव जिहाद को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। गृह विभाग द्वारा न्याय व विधि विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। इस प्रस्ताव के मुताबिक गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा और यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की सख्त सजा दी जाएगी।
क्या होता है लव जिहाद?
ये शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमे अंग्रेजी शब्द लव जिसका अर्थ मोहब्बत, इश्क आदि होता है और अरबी भाषा के शब्द जिहाद का मतलब होता है धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करना। अभी के हालातों में लव जिहाद एक गढ़ा हुआ शब्द बन गया है, जिसका मतलब होता है शादी या प्रेम का झांसा देकर इस्लाम में धर्म परिवर्तन करवाना। यानी जब किसी धर्म विशेष का लड़का किसी दूसरे धर्म की लड़की को प्यार का झांसा देकर लड़की का धर्म परिवर्तन करवा देता है तो इस प्रक्रिया को लव जिहाद कहते हैं।
आपको बता दें कि कुछ समय पहले तक इस शब्द को कानूनी मान्यता नहीं दी गई थी। लेकिन एक मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया कि लव जिहाद होता है। मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को प्यार के जाल में फसाते हैं और उनका धर्म परिवर्तन करवा देते हैं। इसकी शुरुआत तब हुई थी जब 25 मई को केरल हाईकोर्ट द्वारा हिंदू लड़की जिसका नाम अखिला अशोकन की शादी को रद्द कर दिया गया था। बता दें कि दिसंबर 2016 में अखिला अशोकन ने एक मुस्लिम लड़के शफीन से अपना नाम बदलकर निकाह किया था।
किन राज्यों में है कानून?
लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने का मकसद है तेज़ी से हो रहे धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाना। इसके लिए अभी देश के 8 राज्यों में कानून बना हैं। जिसमे अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और झारखण्ड शामिल हैं। आपको बता दें कि लव जिहाद के खिलाफ सबसे पहले 1967 में ओडिशा ने यह कानून बनाया था।
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