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राजस्थान के जैसलमेर शहर से 20 किलोमीटर दूर रेगिस्तान में 200 साल पुराना खजाना मिला है. ऐसा कहा जा रहा है कि कई सालों पहले रेगिस्तान के नीचे गांव हुआ करता है. ये खजाना बासनपीर दक्षिण गांव में पौधरोपण के दौरान की गई खुदाई में नजर आया है. दरअसल यहां जेसीबी से पौधारोपण के लिए जमीन में गड्ढ़ा खोदा जा रहा था. तभी अचानक हुदै क्र रहे लोगों को जमीन के नीचे एक तहखाना नजर आया. जिसके बाद इस रहस्यमयी तहखाने को देखने वालों का जनसैलाब लग गया. हालांकि किसी खजाने के साथ सांप भी होने की मान्यता के चलते लोग तहखाने में जाने से डरते रहे हैं. हालांकि गांव की एएनएम प्रमिला जांगिड़ में हिम्मत दिखाते हुए मोबाइल की रोशनी में तहखाने में उतरीं और अंदर जाकर देखा.
आपको बता दें यह तहखाना नहीं दो सदी पुराना कोई मकान है. जो अब रेगिस्तान में दबा हुआ था. इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. यहां ग्रामीणों का मानना है करीब 200 साल पहले इस इलाके में पालीवाल ब्राह्मणों के गांव होते थे. कुलधरा और जैसलमेर के चारों और कुल 84 गांवों को करीब 5000 पालीवाल ब्राह्मण छोड़कर चले गए थे. इसके पीछे का कारण तत्कालीन जैसलमेर रियासत के दीवान सालिम सिंह के अत्याचारों को बताया जाता है.
आपको बता दें पिछले कुछ सालों में कुलधरा और इसके आसपास के इलाकों में रेगिस्तान के नीचे दबे ऐसे ही गांवों के अवशेष मिलते रहे हैं. बासनपीर दक्षिण गांव में मिला तहखाना भी ऐसी किसी गांव का कोई मकान बताया जा रहा है. हालांकि पुरातत्व विभाग की ओर से इस बारे में फिलहाल कोई बयान नहीं आया है.
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