देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला शहर मुंबई को कहने वाले कहते हैं कि यह कभी सोता नहीं है. लेकिन 26 नवंबर 2008 ऐसा दिन था जब कुछ लोग हमेशा के लिए सो गए. इस तारीख को देश कभी नहीं भूल सकता है. इसी दिन भारत में हुए सबसे खतरनाक आतंकी हमले से देश दहल उठा था. 26 नवंबर 2022 को यानी की आज देश इस आतंकी हमले की 14वीं बरसी मना रहा है. बता दे कि आतंकियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT), ताज महल पैलेस होटल, होटल ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल और भीड़भाड़ वाले इलाकों को बम से और गोलियों से दहला दिया था. इस घटना में लश्कर तैयबा के 10 आतंकवादी शामिल थे.
इस हमले में 166 लोग मारे गए थे
इस हमले को आजाद भारत का अब तक सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है. इस हमले में 18 सुरक्षा कर्मियों सहित 166 लोगों की जान गई थी और 300 से ज्यादा लोग इस हमले में घायल हुए थे. NSG कमांडों और मुबंई पुलिस ने मिलकर इस हमले का सामना किया जिसमें 9 आतंकियों को मार गिराया और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया. उसे कोर्ट के द्वारा 21 नवंबर 2012 को फांसी की सजा सुनाई गई. मुंबई में हुए इस हमले ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया जिसके बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और गृह मंत्री शिवराज पाटिल सहित कई राजनेताओं ने इस्तीफा दे दिया था.
समुद्र के रास्ते मुंबई में आए थे आतंकी
सभी आतंकी पड़ोसी देश पाकिस्तान से आए थे. वह समुद्र के रास्ते मुबंई में दाखिल हुए थे. बताया जाता है कि आतंकी ऐसे सधे कदमों में देश में प्रवेश किए थे की किसी को शक तक नहीं हुआ. इस हमले आतंकियों ने बुढ़े -बच्चे किसी पर भी रहम नहीं किया था. दहशत गर्द अंधा-धुंध गोलियां बरसा रहे थे. पुलिस जब तक कुछ समझ पाती तब लोग मारे चुके थे. पुलिस और सेना के जवानों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इसका जवाब कैसे दें.
2-2 गुट में बंट गए आतंकी
घटना को अंजाम देने के लिए मुंबई में घुसने के बाद सभी आतंकवादी 2-2 के ग्रुप में बंट गए. उनमें से 2 ट्राइडेंट में घुसते हैं, दो ताज में घुसते हैं और 4 नरीमन हाउस में प्रवेश करते हैं. कसाब और उसका साथी CSMT को निशाना बनाते हुए वहां फायरिंग शुरू कर दी. इस जगह पर कम से कम 58 लोग मारे गए और 100 से भी ज्यादा लोग घायल हुए.
इस्माइल और कसाब ने कामा अस्पताल को बनाया था निशाना
आतंकी कसाब और इस्माइल खान कामा अस्पताल को अपना निशाना बनाया था और रास्ते में 6 पुलिस के जवानों को गोली मारे. जिनमें अशोक कामटे, विजय सालस्कर और मुंबई (ATS) के प्रमुख हेमंत करकरे शामिल थे. हेमंत करकरे की इस हमले में जान भी चली गई थी. वहीं ड्यूटी के दौरान तुकाराम ओंबले की मौत हो गई थी. दोनों आतंकी पुलिस की जीप लेकर भागते हैं. दोनों तरफ से गोली बारी के चलते कमा खान को जवान मार गिराते हैं और अजमल कसाब को हिरासत में लिया जाता है जिसे कोर्ट ने 21 नवंबर को 2012 में फांसी की सजा सुनाई थी.
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