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रोशनी के त्योहार दिवाली पर शहर और आसपास के इलाकों में जमकर आतिशबाजी हुई. हर साल पटाखों से झुलसे कई मरीज सरकारी और निजी अस्पतालों के आपातकालीन कक्ष में पहुंचते हैं. सरकारी अस्पतालों में बर्न वार्ड न होने के कारण गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. मामूली रूप से जले मरीजों को अस्पतालों के आपातकालीन कक्ष में ही उचित उपचार दिया जाता है.
अस्पताल की इमरजेंसी रात में संचालित
राजकीय मेला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि दिवाली पर अस्पताल की इमरजेंसी रात में भी संचालित की जाएगी. ईएमओ, फार्मासिस्ट व अन्य स्टाफ की ड्यूटी भी तय कर दी गई है. आवश्यक दवाओं के अलावा अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. जरूरत पड़ने पर अस्पताल के एक कमरे का उपयोग बर्न वार्ड के रूप में भी किया जायेगा.
त्योहार को लेकर छुट्टी का माहौल
लोग पटाखे फोड़कर दिवाली मनाते हैं, ऐसे में प्रदूषण भी बढ़ता है. जिससे सांस के मरीजों को अधिक परेशानी होती है. जिन लोगों के फेफड़े कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं उन्हें इस दिवाली पर अपना ज्यादा ख्याल रखना चाहिए. आपको बता दें कि धनतेरस के बाद से ही गुजरात में त्योहार को लेकर छुट्टी का माहौल है. दिवाली के दूसरे दिन नया साल मनाया जाता है, फिर भाईदूज से लाभ पंचमी तक लोग अपना कारोबार बंद रखते हैं.
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