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पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने 19 और 20 जून को पंजाब विधानसभा के सत्र को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि अब राज्यपाल को इस सत्र को वैध मानकर अपने पास लंबित बिल पर फैसला लेना चाहिए. राज्यपाल की ओर से विधानसभा सत्र की वैधता पर संदेह उठाना सही नहीं है. विधानसभा में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं, इसलिए राज्यपाल द्वारा सत्र को अवैध घोषित करना संवैधानिक रूप से सही नहीं है.
बिलों पर हस्ताक्षर करने से इनकार
दरअसल, पंजाब सरकार ने 19 और 20 जून को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था और कुछ बिल पास किए थे. लेकिन राज्यपाल ने उन बिलों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. कहा कि सत्र नियमानुसार नहीं बुलाया गया और यह अवैध है। इसी का हवाला देते हुए उन्होंने बिल पास कराया और इसे कानून बनने से रोक दिया. इसके बाद जब पंजाब सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाया तो उसे भी अवैध करार दे दिया गया. पंजाब सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
बिल को अवैध घोषित करते रहेंगे
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या राज्यपाल को इस बात का जरा भी अंदाजा है कि वह आग से खेल रहे हैं? अगर राज्यपाल को लगता है कि बिल गलत तरीके से पास हुआ है तो भी उन्हें इसे विधानसभा अध्यक्ष के पास वापस भेज देना चाहिए. अगर राज्यपाल इसी तरह बिल को अवैध घोषित करते रहेंगे तो क्या ऐसे देश का संसदीय लोकतंत्र बचेगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं, लेकिन पंजाब के हालात को देखकर ऐसा लगता है कि सरकार और उनके बीच बहुत बड़ा मतभेद है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.
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