वायु प्रदूषण के कारण हर 9वां व्यक्ति कैंसर से पीड़ित हो सकता है, दुनियाभर में ज्यादातर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। दूसरी ओर, इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि महिलाओं में स्तन कैंसर के तेजी से फैलने का एक कारण वायु प्रदूषण भी हो सकता है. वायु प्रदूषण से न केवल स्तन कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है, बल्कि दिल का दौरा और स्ट्रोक से मौत का कारण बन सकते हैं।
कैंसर से पीड़ित
अमेरिका और फ्रांस में किए गए दो अंतरराष्ट्रीय शोधों से पता चला है कि, घर के अंदर और बाहर सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण के कारण हर 9वां व्यक्ति कैंसर से पीड़ित हो सकता है। दुनियाभर में ज्यादातर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।
फेफड़ों की कार्यप्रणाली
ऐसे कई शोध हैं जिनमें साफ तौर पर माना गया है कि पीएम 2.5, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कुछ कार्बनिक गैसों के कारण वायुमंडल में कई तरह की रासायनिक प्रतिक्रियाएं हो रही हैं, जो बीमारी और अकाल मृत्यु का कारण बन रहे हैं। खासतौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से ही दिल या फेफड़ों की बीमारी है। यह गंदी और जहरीली हवा फेफड़ों की कार्यप्रणाली को भी काफी हद तक प्रभावित करती है।
भविष्य में स्तन कैंसर के खतरे
शोध से यह स्पष्ट हो गया है कि, हमें वायु प्रदूषण और स्तन कैंसर के बीच संबंध पर और शोध करना होगा। शोध में भी इस बात पर सहमति जताई गई है की वायु प्रदूषण भविष्य में स्तन कैंसर के खतरे को कैसे बढ़ा देता है। हमें इस पर अधिक से अधिक शोध करने की जरूरत है।
कैंसर का खतरा 8 प्रतिशत
'नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट' के जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक उन लोगों में कैंसर का खतरा 8 प्रतिशत तक बढ़ गया है जो 2.5 उच्च पीएम वाले क्षेत्र में रहते हैं। शोध में यह बात भी सामने आई है की 20 साल के शोध में 5 लाख महिलाओं और पुरुषों पर यह शोध किया गया, जिसमें पाया गया की ब्रेस्ट कैंसर के 15 हजार 870 मामले पाए गए।
कैंसर के मामलों में स्तन कैंसर
रिपोर्ट के अनुसार, 1965 और 1985 के बीच भारत में स्तन कैंसर की घटनाओं में 50% की वृद्धि हुई। 2020 के ग्लोबोकैन डेटा के अनुसार, भारत में सभी कैंसर के मामलों में स्तन कैंसर 13.5% और 10.6% था।
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