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मनोज बाजपेई और पीयूष मिश्रा का पुराना वीडियो, पहचानना हुआ मुश्किल

मनोज बाजपेई और पीयूष मिश्रा का एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कलाकारों को पहचानना मुश्किल हो गया है। बता दें कि, इस जीत का नाम 'सुनो रे किस्सा' है।

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By Taniya Instafeed | मनोरंजन - 24 October 2024

मनोज बाजपेई और पीयूष मिश्रा का एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कलाकारों को पहचानना मुश्किल हो गया है। बता दें कि, इस जीत का नाम 'सुनो रे किस्सा' है। पीयूष मिश्रा इस जीत के अभिनेता गायक और लेखक भी हैं उन्होंने कई फिल्मों में अपनी आवाज दी है और गीत भी लिखे हैं। सोशल मीडिया पर पीयूष मिश्रा और मनोज बाजपेई का यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। लोग अपने-अपने रिएक्शन भी दे रहे हैं। यह थिएटर के दौरान का वीडियो है जब मनोज बाजपेई बेहद यंग थे।


बेहद पुराना है यह वीडियो 

यह वीडियो क्लिप साल 1991 के एक नाटक का है। इस नाटक को दूरदर्शन पर दिखाया गया था तब की यादें आज ताजा हो गई है। इस नाटक के थिएटर निर्देशक बैरी जॉन थे। निर्देशक ने पटकथा और संगीत की जिम्मेदारी पीयूष मिश्रा को दी थी। वीडियो क्लिप में मनोज बाजपेई, दिव्या सेठ शाह और पूर्णिमा खगड़ा भी नजर आ रही हैं। वीडियो क्लिप में पीयूष मिश्रा हारमोनियम बजाते नजर आ रहे हैं और अन्य कलाकार गीत पर जुगलबंदी कर रहे हैं।

अब क्यों वायरल हो रहा है वीडियो 

इस वीडियो को एक बार फिर से शेयर किया गया है जिसकी वजह से यह अन्य सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। बता दें कि, प्रसार भारती अभिलेखागार का सोशल मीडिया हैंडल, जिसने इस पुराने वीडियो को फिर से शेयर किया है। इस क्लिप को शेयर करते हुए प्रसार भारती ने लिखा, ‘प्रसार भारती अभिलेखागार 25 सालों के दौरान टीवी पर दिखाए गए एक नाटक ‘सुनो रे किस्सा’ को अब आपके लिए फिर लाया है। इसमें प्रसिद्ध थिएटर कलाकार मनोज बाजपेयी, पूर्णिमा खड़गा, पीयूष मिश्रा, दिव्या सेठ शाह और कई अन्य शामिल हैं।’

इस वीडियो को निदेशक जॉन बेरी ने भी अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। कैप्शन में लिखा है, ‘क्या इस नाटक में सचमुच हम सब लोग थे? क्या हम सचमुच तब इतने जवान दिखते थे? हां, ये परिपक्वता की ओर हमारा एक और कदम था।’ उनके इस पोस्ट के बाद लोगों की प्रतिक्रियाएं भी खूब आईं।

यूजर्स दे रहे हैं प्रतिक्रियाएं 

इस पुराने थिएटर वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स भी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। एक यूजर नहीं लिखा, 'मनोज बाजपेई बिल्कुल भी पहचान में नहीं आ रहे हैं।' दूसरे यूज़र ने लिखा, 'उस समय क्या कहानी और नाटक हुआ करते थे।' तीसरे यूजर ने लिखा, 'यह नाटक एक सामाजिक मुद्दे को दर्शाता है।'

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